करीब तीन हजार की आबादी वाले डेभोल गांव की महिला मंडल कोरोना लॉकडाउन के बाद धार्मिक यात्रा पर निकला था। फरवरी के पहले सप्ताह में एक दिवसीय यात्रा के बाद सभी वापस आए। इसके बाद दूसरे सप्ताह में गांव के युवक भी धार्मिक यात्रा पर निकले। इसके बाद गांव में सर्दी, अस्थमा और बुखार के मामले में बढ़ोतरी होने लगी। कई लोगों ने इसके बाद कोरोन जांच कराई तो रिपोर्ट पॉजिटिव होने पर लोग भयभीत हो गए। संक्रमण की संख्या बढऩे की वजह से ग्राम पंचायत ने तत्काली मीटिंग कर गांव में स्वैच्छिक लॉकडाउन करने का निर्णय किया।
गांव के युवक अल्पेश पटेल, प्रियल पटेल और संजय पटेल ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना संक्रमण की जांच नहीं कराई जा रही है। विभाग के कर्मचारी ग्रामीणों के साथ असंवेदनशील व्यवहार करते हैं। ग्रामीणों के साथ नोंकझोंक होने पर स्वास्थ्य विभाग की टीम हरकत में आई है। लोगों के कोराना टेस्ट कराए गए तो करीब 50 लोगों को होम क्वारेंटाइन किया गया। गांव के पटवारी ने बताया कि जिला स्वास्थ्य विभाग की आठ टीम क्षेत्र में सक्रिय है। इनमें से एक टीम जांच कर रही है, वहीं सात दूसरी टीम सर्वेलेंस के काम में लगी है।
गांव में स्वैच्छिक लॉकडाउन के तहत सुंबह और शाम दो-दो घंटे लोगों को जरूरी काम से बाहर जाने की छूट दी गई है। डेमोल दूध उत्पादक सहकारी मंडली के सेक्रेटरी ने बताया कि डेयरी में कोरोना निर्देशिका के तहत दूध लिया जाता है। सभी के लिए सेनेटाइजेशन और मास्क अनिवार्य किया गया है। हाल की स्थिति को देखते हुए दूध मंडली की वार्षिक साधारण सभा को रद्द कर दी गई। चांगा पीएचसी की डॉ. मानसी पटेल ने कहा कि 15 फरवरी के बाद अभी तक 535 घरों में स्वास्थ्य संबंधी जांच की गई है। इसमें 20 नागरिकों में संक्रमण पाए गए हैं। इसमें एक महिला को करमसद हॉस्पिटल में भर्ती व शेष को होम क्वारेंटाइन किया गया।