जानकारी के अनुसार आधुनिक युग मेें भी अस्पृश्यता (छुआ-छूत) के कई मामले समय-समय पर सामने आते रहते हैं। इन सभी के लिए साबरकांठा जिले की वडाली तहसील के धामडी गांव के लोगों ने मिसाल पेश की है।
गांव के आश्रम में अग्रणी और ग्रामीण पिछले सात महीने से हर रविवार को सत्संग का आयोजन करते हैं। 29वें आयोजन के तहत रविवार को 70 वर्ष से अधिक उम्र के 200 से अधिक वृद्ध दंपती को बुलाकर उन्हें कंकु-तिलक लगाकर शॉल ओढ़ा कर सम्मानित किया। इसके साथ ही सफाई कर्मियों के पांव धोकर पुष्प अर्पित किया। गांव के सभी समाज लोगों की उपस्थिति में सम्मान किया गया। गांव के सभी लोगों की मौजूदगी में मिल रहे इस सम्मान से सफाई कर्मी भाव-विभोर हो गए, उनकी आंखें भर आईं।
खुशी से भीगी आंखें
भीखा सोलंकी ने बताया कि उन्हेंं बहुत खुशी मिली है। आज तक उनका किसी ने सम्मान नहीं किया था। परंतु, आज सभी समाज के लोगों के बीच उन्हें सम्मानित किया गया। इसी तरह सभी का सम्मान होना चाहिए। हाल के समय में माता-पिता के प्रति संतानों का नजरिया बदला है, कतिपय लोग अपने वृद्ध माता-पिता को वृद्धाश्रम में भेज देते हैं। उनमें माता-पिता का महत्व नहीं होता है।
सत्संग से शुरू हुआ संस्कार सिंचन
धामडी गांव के लोग हर रविवार को गांव के वृद्ध जनों के साथ आध्यात्मिक सत्संग आदि का आयोजन करते हैं। इसमें यह संदेश दिया जाता है कि माता-पिता को रोज सुबह नमन करें, इससे उन्हें सभी काम में अनन्य सफलता मिलेगी। गांव के लोगों ने यह अभियान शुरू कर दिया है, जिसमें परिवार के वृद्धजनों का नई पीढ़ी पूरे आदर के साथ सम्मान करें। आयोजक जयंती पटेल ने बताया कि 28 रविवार से वे सभी आश्रम में सत्संग का आयोजन कर रहे थे। लेकिन, इस रविवार से गांव के वृद्धजनों और सफाई कर्मियों का भी सम्मान करने का कार्यक्रम किया गया। देश में अभी तक छुआछूत के मामले देखने को मिलते हैं जो कि बेहद चिंताजनता है। आज हम ग्रामीणों ने गांव में ही सफाई करने वाले कर्मियों के पांव धोकर उन्हें सम्मानित किया।