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Gujarat news: Whale shark की पंसदीदा, सुरक्षित जगह है गुजरात

locationअहमदाबादPublished: Feb 21, 2020 08:21:35 pm

Submitted by:

Pushpendra Rajput

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Gujarat news: Whale shark की पंसदीदा, सुरक्षित जगह है गुजरात

Gujarat news: Whale shark की पंसदीदा, सुरक्षित जगह है गुजरात

गांधीनगर. गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में 1&वें अंतरराष्ट्रीय सीएमएस सीओपी सम्मेलन (internation CMS-COP conference) में शुक्रवार को व्हेल शार्क (Whale shark) के संरक्षण पर आयोजित एक गोष्ठी में पर्यावरणविदों ने कहा कि प्रजनन के लिए व्हेल शार्क को गुजरात का समुद्र पसंद है। उन्होंने व्हेल शार्क के संरक्षण पर गुजरात सरकार (Gujarat government) के बेहतरीन कार्यों पर प्रकाश डालते कहा कि प्रजनन के लिए गुजरात का समुद्र अनुकूल लगता है। पहली बार गुजरात के समुद्र में 2008 में व्हेल मछली दिखाई दी। बाद में गुजरात वन विभाग और वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और टाटा केमिकल्स ने उसके संरक्षण के लिए साथ-साथ काम करने का फैसला किया।
शार्क मछली पालने वाला भारत दूसरा बड़ा देश

वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट आफ इंडिया के ट्रस्टी बसी चौधरी ने बताया कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शार्क मछली पालने वाला देश माना जाता है, लेकिन मछुआरे और मछली व्यापारी शार्क संरक्षण के नियमों से अनजान हैं। इसके कारण पिछले कई वर्षो से यहां शार्क मछलियों की संख्या लगातार कम होने लगी। हालांकि बाद में सरकार ने जागरूकता अभियान चलाया, जिसके बाद इनके संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है।
व्हेल शार्क का 15000 किलो होता है वजन

संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से आए विशेषज्ञ डॉ. रीमा ने बताया कि गुजरात के तटवर्ती समुद्र में पाई जाने वाली शार्क अन्य शार्क मछलियों की अपेक्षा बड़ी है। इनकी लम्बाई 12.5 मीटर, चौडाई 7 मीटर और वजन 15000 किलोग्राम होने के बाद भी स्वभाव में शांत होती है। शिकार करने के लिए इसके जबड़े में खंजर जैसे दांत होते हैं। छोटे-छोटे जीवों का भक्षण कर ये अपना गुजारा करती है। इसे दो विशेषणों से जाना जाता है-विकराल और विराट। सभी शार्क का मुंह कद्दावर और डरावना नहीं होता। लेंटर्न शार्क कद में 8 इंच और उतनी ही लम्बी होती है। गहरे समुद्र में यह शार्क फानूस की तरह चमकती है।
उन्होंने एंबिओ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय मछुआरे प्राय: बड़ी शार्क मछलियां नहीं पकड़ते हैं, बल्कि दूसरी मछलियों को पकडऩे के लिए डाले गए जाल में बड़ी शार्क भी फंस जाती है। Óयादातर मछुआरे और व्यापारी जानते हैं कि व्हेल शॉर्क को पकडऩा गैर- कानूनी है। दुनिया में 4000 प्रजाति की शार्क पाई जाती हैं। शार्क की अन्य प्रजातियों जैसे- टाइगर, हेमरहेड, बुकशार्क, पिगी शार्क आदि के लिए निर्धारित राष्ट्रीय शार्क संरक्षण मानकों से अनजान हैं। शार्क मछलियों को उनके मांस और पंखों के लिए पकड़ा जाता है। इनके पंखों के अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति काफी हद तक अनियमित है। भारत में शार्क के मांस के लिए एक बड़ा घरेलू बाजार है। जबकि निर्यात बाजार छोटा है। यहां छोटे आकार और किशोर शार्क के मांस की मांग सबसे Óयादा है।आमतौर पर एक मीटर से छोटी शार्क मछलियां ही पकड़ी जाती हैं और छोटी शार्क स्थानीय बाजारों में महंगी बिकती हैं। शार्क संरक्षण को लेकर किए गए एक अध्ययन में ये बातें सामने आई हैं।
अशोका यूनिवर्सिटी, हरियाणा, जेम्स कुक यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया और एलेस्मो प्रोजेक्ट, संयुक्त अरब अमीरात के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए इस अध्ययन में शार्क व्यापार के दो प्रमुख केंद्रों गुजरात के पोरबंदर और महाराष्ट्र के मालवन में संरक्षण किया गया है। अध्ययन से जुड़ीं अशोका यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता डॉ. दिव्या कर्नाड ने बताया कि बड़ी शार्क मछलियों की संख्या में लगातार गिरावट की जानकारी Óयादातर मछुआरों और व्यापारियों को है। और व्यापारी स्थानीय नियमों का पालन भी करते हैं। लेकिन, भारत में शार्क मछलियों की संख्या में गिरावट के सही मूल्यांकन के लिए अभी और शोध की जरूरत है।
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