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व्हीलचेयर पर होने के बावजूद ‘बढ़ते रहे कदम’

locationअहमदाबादPublished: Mar 07, 2021 11:31:01 pm

Submitted by:

Omprakash Sharma

शिक्षा के क्षेत्र में 19 डिग्री, 42 अवार्ड और राष्ट्रपति से सम्मानित भीदिव्यांगों की मदद को तत्पर है दर्शिता शाह
महिला दिवस पर विशेष….

व्हीलचेयर पर होने के बावजूद 'बढ़ते रहे कदम'

व्हीलचेयर पर होने के बावजूद ‘बढ़ते रहे कदम’

अहमदाबाद. शहर में रहने वाली दर्शिता शाह भले ही दोनों पैरों से चल नहीं पाती हंै लेकिन आगे बढऩे की दृष्टि से देखें तो उनके पैर कभी नहीं डगमगाए। पढ़ाई के क्षेत्र में 19 डिग्री और उत्कृष्ट सेवा करने पर 42 अवार्ड हासिल कर चुकी दर्शिता को वर्ष 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति भी सम्मानित कर चुके हैं। हाल में वे दिव्यांगों के हित में शहर की एक संस्था में कार्यरत हैं।
अहमदाबाद निवासी दर्शिता बाबूभाई शाह जब आठ माह की थी तब पोलियो ने न सिर्फ दोनों पैर छीन लिए थे बल्कि शरीर के अन्य भाग में भी असर हो गया था। वे नब्बे फीसदी विकलांग हैं। इसके बावजूद उन्हें किसी से शिकायत नहीं हैं फिर भी वे मानती हैं कि विकलांगता को लेकर आज भी भेदभाव तो हैं। कई जगह ऐसी भी हैं जहां दिव्यांग व्यक्ति नहीं पहुंच पाते। यदि पहुंच भी जाते हैं तो उन्हें काफी परेशानी होती है। 56 वषीय दर्शिता शुरू से ही पढ़ाई में मेधावी रहीं हैं। उनके पास शिक्षा के क्षेत्र की मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (एमबीए), मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए), कानून में स्नातकोत्तर और एम कॉम जैसी डिग्री हैं। शिक्षा से जुड़ी उनके पास 19 डिग्री हैं। इसके अलावा राज्य और अन्तरराज्यीज स्तर के 42 अवार्ड भी हैं। इनमें एक अवार्ड वर्ष 2013 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उन्हें दिया था। ये सभी अवार्ड उन्हें समाज सेवा के लिए प्रदान किए गए हैं। खासकर दर्शिता की यह समाज सेवा दिव्यांगों के लिए ज्यादा है। वे खुद की स्वैच्छिक संस्था भी चलाती हैं। जिसके माध्यम से दिव्यांग महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देती है। इसके लिए स्वैच्छिक संस्था के माध्यम से महिलाओं को सिलाई की मशीन व अन्य साधन भी वितरित करती हैं। व्हीलचेयर के माध्यम से वे यह सब करती हैं।
दिव्यांगों की मदद ही ध्येय
दर्शिता शाह ने बताया कि अब उनका ध्येय केवल विकलांगों की मदद करना ही है। उन्होंने कहा कि जब वे पढ़ाई करती थी तब उन्हें कई बार आभास हुआ था कि विकलांगता को लेकर भेदभाव है। इसी को ध्यान में रखकर वे अब काम करती हैं। शहर के आईआईएम-ए के निकट स्थित अपंगमानव मंडल के दिव्यांगों की मदद के लिए सेवारत हैं।
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