छात्रों ने कम अंक को लेकर दर्ज कराई थी शिकायत
दरअसल, यह मामला तब प्रकाश में आया जब कुछ मेधावी छात्रों को विज्ञान में अप्रत्याशित रूप से बहुत कम अंक मिले। इसके बाद इन छात्रों ने अपनी उत्तर पुस्तिकाओं को लेकर शिकायत दर्ज कराई। जब बोर्ड ने उनकी उत्तर पुस्तिकाएं डाउनलोड कीं तो पाया कि उनकी कॉपियां जांची ही नहीं गई। बोर्ड ने इस अनियमितता को गंभीरता से लिया और तुरंत तीनों कॉपियों की दोबारा जांच के आदेश दिए। नतीजों में पाया गया कि उन छात्रों की किसी भी उत्तर पुस्तिका में कोई भी प्रश्न का मूल्यांकन नहीं किया गया था। बिना मूल्यांकन के ही उत्तर पुस्तिकाओं में अंक दे दिए गए थे।
शिक्षिका को सौंपा गया था 840 उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का काम
नतीजतन, इन उत्तर पुस्तिकाओं की जांच करने वाली परीक्षक निमिषा ने बोर्ड को लिखित में सूचित किया कि उसने उत्तर पुस्तिकाओं की जांच किए बिना ही उनका मूल्यांकन पूरा कर लिया है। गौरतलब है कि निमिषा को विज्ञान की 840 उत्तर पुस्तिकाओं की जांच का काम सौंपा गया था। ऐसे में अब शक की सुई इन 840 उत्तर पुस्तिकाओं पर भी उठ गई है।