अमृत महोत्सव के तहत हुआ आयोजन
आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर भारत सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है और इस उत्सव को और ज्यादा यादगार बनाने के लिए डाक विभाग की और से पोस्टकार्ड अभियान चलाया गया जिसमे 75 वर्ष पूर्ण होने पर 75 लाख पोस्टकार्ड का लक्ष्य रखा गया | अभियान का मूल उद्देश्य यह था की जब आजादी के 100 वर्ष पूर्ण होंगे तो हमारी भावी पीढ़ी उस समय के भारत को किस नजर से देखती है और उनकी क्या अपेक्षाएं हैं ।
आजादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर भारत सरकार आजादी का अमृत महोत्सव मना रही है और इस उत्सव को और ज्यादा यादगार बनाने के लिए डाक विभाग की और से पोस्टकार्ड अभियान चलाया गया जिसमे 75 वर्ष पूर्ण होने पर 75 लाख पोस्टकार्ड का लक्ष्य रखा गया | अभियान का मूल उद्देश्य यह था की जब आजादी के 100 वर्ष पूर्ण होंगे तो हमारी भावी पीढ़ी उस समय के भारत को किस नजर से देखती है और उनकी क्या अपेक्षाएं हैं ।
जुड़ते गए स्कूल
इस अभियान में स्कूली विद्यार्थियों ने प्रधानमंत्री को बताया है कि वे 2047 में भारत को कैसा देखते हैं। शुरुआत में केवल सीबीएसएसी स्कूलों के बच्चे इस अभियान में शामिल होने वाले थे पर बाद में इस अभियान ने ऐसे गति पकड़ी की राज्य के अन्य बोर्ड के स्कूल भी इस रोचक अभियान में जुड़ गए। स्कूलों द्वारा अपने बोर्ड के पोर्टल के माध्यम से हर स्कूल के 10 पोस्टकार्ड को अपनी वेबसाइट पर अपलोड भी किया गया |
इस अभियान में स्कूली विद्यार्थियों ने प्रधानमंत्री को बताया है कि वे 2047 में भारत को कैसा देखते हैं। शुरुआत में केवल सीबीएसएसी स्कूलों के बच्चे इस अभियान में शामिल होने वाले थे पर बाद में इस अभियान ने ऐसे गति पकड़ी की राज्य के अन्य बोर्ड के स्कूल भी इस रोचक अभियान में जुड़ गए। स्कूलों द्वारा अपने बोर्ड के पोर्टल के माध्यम से हर स्कूल के 10 पोस्टकार्ड को अपनी वेबसाइट पर अपलोड भी किया गया |
बच्चों ने दिखाया उत्साह
डाक विभाग के कर्मचारियों ने अभियान अपना सहयोग दिया और स्कूलों द्वारा इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया गया। वैसे वाकई जिस तरह से बच्चों ने उत्साह से इस अभियान में हिस्सा लिया है उससे यह जाहिर है की भारत का आने वाला भविष्य वाकई सुनहरा है और इसके लिए बच्चों ने अभी से सपने संजोना शुरू कर दिया है|।
डाक विभाग के कर्मचारियों ने अभियान अपना सहयोग दिया और स्कूलों द्वारा इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया गया। वैसे वाकई जिस तरह से बच्चों ने उत्साह से इस अभियान में हिस्सा लिया है उससे यह जाहिर है की भारत का आने वाला भविष्य वाकई सुनहरा है और इसके लिए बच्चों ने अभी से सपने संजोना शुरू कर दिया है|।
सिखाई पत्र लिखने की परम्परा
अभियान से जहां एक और बच्चो में देश प्रेम और देश के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा जगी है वहीँ दूसरी और डाक विभाग ने पत्र लिखने की भूली जा रही परंपरा को बच्चों के जरिये फिर से जगाने की सफल कोशिश की। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में मात्र 50 पैसे के मूल्य पर पोस्टकार्ड जैसी डाक स्टेशनरी उपलब्ध करा रहा है जिसमे लिखने के लिए स्टेशनरी के साथ साथ पोस्टेज भी शामिल है। इसी तरह 5 रूपए का डाक लिफाफे में वे सारी भावनाएं जो आप तकनिकी के इस युग में फोन के माध्यम से नहीं बता सकते वे आप लिख कर भेज सकते हैं जिसे डाक विभाग गंतव्य तक पहुंचाता है।
अभियान से जहां एक और बच्चो में देश प्रेम और देश के लिए कुछ कर गुजरने की इच्छा जगी है वहीँ दूसरी और डाक विभाग ने पत्र लिखने की भूली जा रही परंपरा को बच्चों के जरिये फिर से जगाने की सफल कोशिश की। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में मात्र 50 पैसे के मूल्य पर पोस्टकार्ड जैसी डाक स्टेशनरी उपलब्ध करा रहा है जिसमे लिखने के लिए स्टेशनरी के साथ साथ पोस्टेज भी शामिल है। इसी तरह 5 रूपए का डाक लिफाफे में वे सारी भावनाएं जो आप तकनिकी के इस युग में फोन के माध्यम से नहीं बता सकते वे आप लिख कर भेज सकते हैं जिसे डाक विभाग गंतव्य तक पहुंचाता है।