scriptराज्य में बनानें है 2069 अमृत सरोवर, केवल 322 को मिली मंजूरी, अब तक पूरा एक भी नहीं | 2069 Amrit Sarovar to be built in the state, only 322 got approval, no | Patrika News

राज्य में बनानें है 2069 अमृत सरोवर, केवल 322 को मिली मंजूरी, अब तक पूरा एक भी नहीं

locationअजमेरPublished: May 28, 2022 07:26:36 pm

Submitted by:

bhupendra singh

अधिकतर जिलों में कार्यों का ही चयन नहीं, स्वीकृति भी जारी नहीं

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भूपेन्द्र सिंह
स्वतंत्रता के 75 वें साल पर अमृत महोत्सव के तहत मनरेगा के अन्तर्गत सभी जिले में 75 अमृत सरोवर निर्माण का लक्ष्य निर्धारित करते हुए अमृत सरोवर अभियान तो शुरु किया गया है लेकिन इनका लाभ इस मानसूनी सीजन में मिलना मुश्किल नजर आ रहा है। कई जिलों में अब तक कार्यों का चयन ही नहीं हो सका। जहां काम का चयन हुआ वहां मंजूरी ही जारी नहीं हो सकी है। राज्य में अमृत सरोवर अभियान के तहत 2069 अमृत सरोवर (तालाब) बनाए जाने है लेकिन अब तक केवल 322 की मंजूरी जारी हो सकी है। हालांकि एक भी अमृत सरोवर अब तक राज्य में नहीं बनाया जा सका। अधिकांश जिलों ने निर्धारित संख्या में कार्यों का चयन नहीं किया है। जहां कार्य चयनित किए गए हैं उनमें से अधिकांश की स्वीकृति ही जारी नहीं की गई है।
7 जगह ही शुरु हुआ काम

अमृत सरोवर के तहत सीकर में 3, जयपुर में 3 तथा अलवर में एक कार्य प्रगति पर है। किसी भी जिले में एक भी कार्य पूर्ण नहीं हो सका। अमृत सरोवर के निर्माण से बरसात के दौरान पानी को एकत्रित किया जा सकेगा। इसका उपयोग किया जा सकेगा। इससे भू जल स्तर में भी बढोतरी होगी।
अजमेर जिले का हाल

जिले में अमृत सरोवर के 137 कार्य चिन्हित किए गए हैं। इनमें से 30 की स्वीकृति जारी हो चुकी है। इनमें रामनेर की ढाणी में पनारिया नाडी तालाब, अराई के खापरिया तालाब का जीर्णेाद्धार, बरना में नया तालाब, मसूदा के ग्राम माधोगढ़ का सार्वजनिक तालाब, ग्राम दौलपुरा का सार्वजनिक तालाब, मसूदा के ग्राम दैदपुरा का गौलमा वाला तालाब शामिल है। जिले में एक भी कार्य शुरु नहीं हुआ और ना ही पूरा हो सका।
ताकी पर्यावरण में हो सके सुधार

ग्रामीण विकास एंव पंचायतीराज विभाग की आयुक्त (ईजीएस) शिवांगी स्वर्णकार ने सभी जिला कलक्टरों एवं जिला कार्यक्रम समन्वयक राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना को इस सम्बन्ध में निर्देश जारी किए हैं। आयुक्त के अनुसार जिलेवार कार्यों की स्वीकृति जारी कर कार्य समय पर पूर्ण किए जाएं जिससे आगामी मानसून में अमृत सरोवरों का उपयोग हो सके और पर्यावरण में सुधार हो सके।
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