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बोली मंत्रीजी…6 हजार टीचर में से 2200 ने किए कोर्ट केस, बताएं कैसे चलेगा काम

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अजमेरSep 09, 2018 / 06:42 pm

raktim tiwari

RUCTA seminar

अजमेर.
शिक्षकों का वेतनमान-पदोन्नति और अन्य समस्याओं के लिए बार-बार कोर्ट जाना गलत है। कई समस्याएं बातचीत से सुलझाई सकती है। सरकार इसके लिए तैयार है। यह बात उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने रविवार को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में कही।
राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के सेमिनार में बोलते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश में कॉलेज-विश्वविद्यालय में छह हजार शिक्षक हैं। इनमें से 2200 शिक्षकों ने कोर्ट केस कर रखे हैं। यह केस वेतनमान, पदोन्नति, सेवा नियमों से जुड़े हैं। शिक्षकों का हर बात के लिए कोर्ट जाना उचित नहीं है। सरकार के साथ बातचीत कर समस्याएं सुलझाई जा सकती हैं।
इसके लिए हम सदैव तैयार हैं। उन्होंने कहा कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा क्षेत्र में नए नवाचार होते रहने चाहिए। प्रतिस्पर्धात्मक दौर और वैश्विक परिदृश्य में भारतीय विद्यार्थी तभी टिकेंगे जबकि शैक्षिक गुणवत्ता उच्च स्तरीय होगी। पढऩे-पढ़ाने के तौर-तरीकों में भी समयानुकूल परिवर्तन जरूरी हैं।
कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी ने कहा कि देश में कभी कॉलेज-विश्वविद्यालय के शिक्षकों को सर्वाधिक सम्मान प्राप्त था। वे सरकारी अफसरों-कार्मिकों की तरह रजिस्टर में हस्ताक्षर भी नहीं करते थे। लेकिन कहीं ना कहीं मूल्यों में कमी आई है। हम अपनी जिम्मेदारी ढंग से नहीं निभा पाए हैं। शिक्षकों को आत्मावलोकन कर समाज और देश के प्रति उत्तरदायित्व की जरूरत है।
अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के अध्यक्ष डॉ. जे. पी. सिंहल ने कहा कि देश की शिक्षा नीति से लेकर कॉलेज-विश्वविद्यालयों की शिक्षक समस्याओं के प्रति महासंघ गम्भीर है। लेकिन नौकरशाही की दखलंदाजी से समस्याओं का योजनाबद्ध समाधान नहीं हो पाता है। हालांकि पिछले दिनों महासंघ ने केंद्र सरकार से संपर्क कर शिक्षकों का वर्कलोड घटाने, यूजी-पीजी प्राचार्यों, शिक्षकों के वेतनमान में परिवर्तन, कॅरियर एडवांसमेंट स्कीम में पदोन्नति, एपीआई स्कोर जैसे मुद्दों को संशोधित कराया है। आगे भी इसके प्रयास जारी हैं।
रुक्टा राष्ट्रीय के महासचिव डॉ. एन.एल. गुप्ता ने प्रदेश में कॉलेज-विश्वविद्यालय शिक्षकों को सातवां वेतनमान नहीं मिलने, शिक्षकों के रिक्त पद, पूर्व संस्थाओं का सेवाकाल नहींजोडऩे, संविदा पर कार्यरत शिक्षकों को नियमित करने, पदोन्नति वाली तिथि से वेतनमान लाभ देने जैसे मुद्दे उठाए। रुक्टा राष्ट्रीय के अध्यक्ष डॉ. दिग्विजय सिंह ने धन्यवाद दिया। संचालन डॉ. अनिल दाधीच ने किया।
यह रहे मौजूद

राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. के. कोठारी, महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह, एमएल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. जे. पी. शर्मा, कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलपति प्रो. बी. आर. छीपा, रुसा के उपाध्यक्ष प्रो. एम.सी.शर्मा, क्षेत्रीय कार्यवाहक हनुमान सिंह, प्रो. जी. आर. जाट, अखिल भारतीय शैक्षिक महासंघ के प्रो. महेंद्र कपूर, डॉ. एस. के. बिस्सू, डॉ. दिलीप गैना, डॉ. अनूप आत्रेय और अन्य
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