किसान की अनुपयोगी जमीन का होगा उपयोग किसान की अनुपयोगी पड़ी कृषि भूमि पर 10 गीगावाट के कृषि सोलर प्लांट पांच साल में देशभर में लगाए जाएंगे। इनके जरिए उत्पादित बिजली बेचने से किसानों को आय होगी। प्लांट से उत्पादित बिजली ग्रिड को बेची जाएगी। एक प्लांट की क्षमता 500 किलोवाट से 2 मेगावाट तक की होगी। देश में पहले साल में 526 मेगावाट का उत्पादन बिजली कृषि आधारित सोलर प्लांट के जरिए होगा। राजस्थान में पहले साल में 75 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य कृषि सोलर प्लांट के जरिए किए जाने का लक्ष्य है।
डीजल पम्प बदले जाएंगे (agricultural diesel pumps) देशभर में 17.5 लाख सोलर पम्पिग सिस्टम कृषि सिंचाई योजना के तहत पांच साल लगाए जाएंगे। ये एेसे स्थानों पर लगाए जाएंगे जहां ग्रिड की बिजली उपलब्ध नहीं है। जहां पर किसान डीजल पम्प आदि का इस्तेमाल कर रहे है। सोलर पम्प के जरिए डीजल पम्प रिप्लेस किए जाएंगे। देश में पहले साल में 1 लाख 73 हाजर 700 सोलर पम्पिंग सिस्टम लगाए जाएंगे। राजस्थान में 25 हजार सोलर पम्प लगाते हुए डीजल पम्प रिप्लेस किए जहां विद्युत ग्रिड नहीं है। डीजल पम्प नहीं चलने से किसान को डीजल नहीं खरीदना पड़ेगा इससे उसकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी तथा पर्यावरण सुरक्षा को भी बढ़ावा मिलेगा।
मोटरें रिप्लेस की जाएंगी electric motar देश में पांच साल में 10 लाख एेसे सोलर पम्पिंग सिस्टम लगाए जांएगे जहां कृषि क्षेत्र में पानी के लिए बिजली की मोटरें चलाई जा रही है। देश में पहले साल में 1 देश में लाख सोलर पम्पिंग सिस्टम के जरिए इलेक्ट्रिक मोटर रिप्लेस की जाएगीं। राजस्थान में 12 हजार 500 सौ बिजली की मोटरों को सोलर पम्पिंग सिस्टम के जरिए रिप्लेस किए जाने का लक्ष्य है। जब मोटर का उपयोग नहीं हो रहा होगा उस दौरान उत्पादित बिजली किसान डिस्कॉम को बेच सकेगा इससे उसे आय होगी।