काम नहीं आ रही सरकार की कोई भी व्यवस्था पटवारियों के बहिष्कार के बाद यह काम सरकार ने गिरदावरों को सौंपें गए लेकिन उन्होनें भी पटवारियों के समर्थन में इसका बहिष्कार कर दिया। इसके बाद यह काम कृषि पर्यवेक्षकों को यह काम सौपा गया लेकिन उन्होनें भी पटवारियों के समर्थन में इनकार कर दिया अब सरकार ने नया आदेश जारी कर उच्चाधिकारियों (नायब तहसीलदार स्तर) को यह कार्य करने के आदेश दो दिन पूर्व ही जारी कि हैं। यह व्यस्था कितनी कारगर होती है यह देखने वाली बात है।
समर्थन मूल्य तय करने में छूटे पसीने पटवारी हड़ताल के चलते पूर्व में राज्य के 4800 पटवार सर्किलों में रबी सीजन की की फसल गिरदावरी नहीं होने हो सकी। इसके के कारण सरकार को पिछले साल की फसल गिरदावरी को ही आधार बनाना पड़ा था। इसके बाद समर्थन मूल्य तय किया जा सका।
यह है मांग इनमें ग्रेड पे 3600 किए जाने,9-18-27 के स्थान 7-14-21-28 का चयनित वेतनमान नहीं दिए जाने,नो वर्क नो पे के तहत सवाईमाधोपुर व कोटा संभाग के चारो जिलों के पटवारियों का बकाया वेतन दिए जाने की मांग कर रहे हैं। पटवारी पैदल मार्च कर जयपुर पहुंचे, विधानसभा के पास धरने भी दिया।
खाली हैं पटवार मंडल इसके साथ ही कई पटवारी अन्य कार्यालय जैसे की यूआईटी, विकास प्राधिकरण, डीसी ऑफि स आदि कई में प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहे है जिस से भी कई पटवार मंडल खाली पड़े हैं। अजमेर में ही 290 पटवार सर्किल भरे हुए हैं जबकि 310 पटवार सर्किलो खाली है।सुविधांए भी नहीं पटवार संघ का कहना है कि सरकार हर तरह के काम हमसे करवाती है तो फिर ग्रेड पे 3600 करने में आनाकानी क्यू कर रही है। वर्तमान में राजस्व रिकार्ड ऑनलाइन हो जाने से पटवारी का काम और ज्यादा स्मार्ट हो गया है। पटवारी के पास ना तो कम्प्यूटर है ना प्रिंटर है लाइट पानी की भी परेशानी है।
इनका कहना है एक तरफ सरकार खुद को गांधीवादी और आमजन व किसान हितैषी बता रही है तो दूसरी तरफ पटवार संघ के आंदोलन के कारण यही वर्ग परेशान हो रहा है। सरकार governmentपटवार संघ मांगों को पूरा करे जिससे पटवार संघ आंदोलन की राह छोड़ कर काम पर लौट और आमजन व किसान वर्ग के अटके काम समय पर हो सके ।
विनोद रतनू,जिलाध्यक्ष,पटवार संघ, अजमेर read more: स्मार्ट सिटी: गिरने लगी मनमर्जी करने वाले अभियंताओं पर गाज