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30 किलोमीटर की लगाई दौड़, फिर भी नहीं मिला बेड

locationअजमेरPublished: May 07, 2021 12:58:36 am

Submitted by:

dinesh sharma

अमृतकौर चिकित्सालय : हर दिन बढ़ रहा है संकट, ऑक्सीजन भी नहीं मिल रही पर्याप्त, प्रशासन नहीं कर पा रहा पर्याप्त इंतजाम, मरीज व परिजन भटकने को मजबूर

30 किलोमीटर की लगाई दौड़, फिर भी नहीं मिला बेड

30 किलोमीटर की लगाई दौड़, फिर भी नहीं मिला बेड

भगवतदयालसिंह
ब्यावर
कोरोना महामारी के बीच ग्रामीण क्षेत्र में अस्पतालों एवं संसाधनों की कमी के चलते ग्रामीणों को शहरों की दौड़ लगानी पड़ रही है। इस पर भी हालात इतने खराब हैं कि शहरों में भी उन्हें पर्याप्त चिकित्सा संसाधन नहीं मिल पा रहे हैं।
कहीं अस्पताल में बेड नहीं हैं तो कहीं ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं है। ऐसे ही कुछ हालात गुरुवार को उस समय नजर आए, जब शहर से करीब तीस किलोमीटर दूर से उपचार कराने ब्यावर के अमृतकौर चिकित्सालय पहुंचे ग्रामीणों को मरीज के लिए बेड नहीं मिला।
उन्होंने यहां पर कतार में लगकर मरीज को दिखाया। चिकित्सक की सलाह पर भर्ती के कागजात भी तैयार करवाए। वार्ड में पहुंचे तो पता चला कि वार्ड में बेड ही खाली नहीं है। सब वार्डों में घूम लिए। इसके बाद प्रमुख चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में जाकर भी गुहार लगाई लेकिन बेड नहीं मिला।
पाŸवनाथ चिकित्सालय पहुंचे तो बोले कि अमृतकौर चिकित्सालय से लिखवाकर लाओ। ऐसे में आखिरकार वापस लेकर जाना मजबूरी हो गई। ऐसे ही वार्ड में बेड मिलने तक मरीज कतार में अपनी बारी का इंतजार करते नजर आ रहे हैं।
इसलिए आ रही है समस्या

अमृतकौर चिकित्सालय में करीब 110 मरीज ऑक्सीजन बेड पर उपचाररत हैं, जबकि अस्पताल में 74 ऑक्सीजन बेड की ही क्षमता है। इसमें ऑक्सीजन सिलेंडर पर उपचाररत मरीज भी शामिल हैं। अमृतकौर चिकित्सालय के ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट से 34 सिलेंडर की क्षमता है।
इसके अलावा ऑक्सीजन सप्लाई 40 सिलेंडर की मिल रही है। जबकि अस्पताल में 110 बेड पर ऑक्सीजन पर मरीज हैं। ऐसे में समस्या बढ़ रही है। प्रशासन की ओर से लिखकर दिए जाने के बावजूद व्यवस्था नहीं हो पाने से व्यवस्था पटरी पर नहीं आ रही है। ऐसे में ऑक्सीजन नहीं मिल पाने से कई मरीजों के जीवन पर संकट है।
चिकित्सकों की भी कमी

अमृतकौर चिकित्सालय में कुल 41 चिकित्सक कार्यरत हैं। इसमें आठ चिकित्सक कोविड संक्रमित आ चुके हैं। ऐसे में दूसरे चिकित्सकों पर दबाव बढ़ा है। हालात यही रहे तो आने वाले दिनों में समस्या और बढ़ेगी। जबकि यहां पर मरीजों का खासा दबाव रहता है।
बेड नहीं मिल पाने से मरीजों को निराश लौटना पड़ रहा है। जबकि विशेषज्ञों की मानें तो एक मरीज को प्रतिदिन डेढ़ सिलेंडर की आवश्यकता पड़ती है। प्रति मरीज एक सिलेंडर भी औसत माना जाए तो 110 सिलेंडरों की आवश्यकता पड़ती है।
ऐसे में दोपहर 12 बजे सिलेंडर आने तक सिलेंडर का इंतजार रहता है। ऐसे में मरीजों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल पाने की समस्या बनी है। इसी प्रकार निजी चिकित्सकों को आवश्यकता के अनुरूप ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिल पा रहे हैं।
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