आयोग को पिछले 73 साल में कभी महिला चेयरपर्सन (rpsc chairperson)नहीं मिली है। जबकि राज्य में महिलाएं मुख्यमंत्री, विधानसभाध्यक्ष, सरकार की मुखिया, केबिनेट और राज्य मंत्री, विश्वविद्यालयों की कुलपति, कॉलेज-स्कूल की प्राचार्य और अन्य सर्वोच्च पदों पर पहुंच चुकी हैं। संभवत: भर्तियों का काम पेचीदा और समस्याओं वाला होने से सरकार ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है।
आयोग (rpsc ajmer)में महिलाओं को सिर्फ सदस्य ही बनाय गया है। कांता कथूरिया (1989 से 1995), कमला भील (1993 से 1999), डॉ. प्रकाशवती शर्मा (1996 से 2002), दिव्यासिंह (2011-12) सदस्य रहीं। मौजूदा वक्त राजकुमारी गुर्जर, डॉ. मंजू शर्मा और डॉ. संगीता आर्य सदस्य हैं।
एस. सी. त्रिपाठी, डी. एस. तिवारी, एम.एम. वर्मा, एल.एल. जोशी, वी. वी. नार्लिकर, आर. सी. चौधरी, बी. डी. माथुर, आर. एस. कपूर, मोहम्मद याकूब, एच. डी. गुप्ता, आर. एस. चौहान, एस. अडियप्पा, दीनदयाल, जे. एम. खान, एस. सी. सिंगारिया, यतींद्र सिंह, हनुमान प्रसाद, पी. एस. यादव, देवेंद्र सिंह, एन. के. बैरवा, जी. एस. टाक, एच. एन. मीना, सी. आर. चौधरी, एम. एल. कुमावत, प्रो. बी. एम. शर्मा, डॉ. हबीब खान गौरान, डॉ. आर.डी. सैनी, डॉ. ललित के पंवार, श्याम सुंदर शर्मा, डॉ. आर.एस. गर्ग, दीपक उप्रेती, डॉ. भूपेंद्र यादव और डॉ. शिवसिंह राठौड़