जैन ने बताया कि 10 अप्रेल 1991 को राज्य स्तरीय कमेटी की ओर से टोंक जिले के उनियारा, देवली, टोंक को ही कमांड एरिया में शामिल किया गया था। इसी दिन यह निर्णय किया गया कि बीसलपुर बांध से कुल वितरित 24.2 टीएमसी में से 16.2 टीएमसी पानी पेयजल के आरक्षित रहेगा। इसमें से 11.2 टीएमसी जयपुर व उसके बीच में आने वाले गांव तथा 5 टीएमसी अजमेर के लिए आरक्षित रहेगा। 8 टीएमसी पानी टोंक जिले की देवली, उनियारा और टोंक तहसील के लिए आरक्षित रहेगा। लेकिन इसमें यह शर्त जोड़ी गई कि सिंचाई का पानी बांध में 28.3 टीएमसी से अधिक होने पर ही दिया जाएगा। इसी कारण टोंक जिले को प्रतिवर्ष सिंचाई के लिए पानी नहीं दिया जाता है।
जल संसाधन विभाग की ओर से 2016-17 में जयपुर शहर में पेयजल सप्लाई के लिए दूसरी पेयजल लाइन बिछाने के लिए 1100 करोड़ का प्रस्ताव तैयार कर केन्द्र को भेजा गया था। लेकिन केन्द्र ने बांध में अतिरिक्त पानी का कोटा आरक्षित करने की शर्त के साथ प्रस्ताव को लौटा दिया था। जैन ने बताया कि जयपुर के लिए बीसलपुर बांध से बिछाई जाने वाली दूसरी पेयजल लाइन टोंक जिले के लिए घातक है। इसके अतिरिक्त बीसलपुर बांध से सिंचाई के पानी को लेकर 2005 में टोंक जिले में आंदोलन भी हो चुका है। टोंक जिले के सिचाई्र के लिए आरक्षित 8 टीएमसी पानी को प्रतिवर्ष दिया जाए। पीपलू, निवाई और मालपुरा को कमांड एरिया में शामिल किया जाए।