अजमेर जिला पुलिस में सहायक उपनिरीक्षक दुर्गेशसिंह जादौन और उनका परिवार बीते दस माह से पूरी तरह से सौर ऊर्जा पर निर्भर हो चुका है। जादौन की पत्नी कल्पना सिंह, बच्चे मानव सिंह व उन्नति सिंह(पति-पत्नी और दो बच्चे) के परिवार में रोशनी के साथ-साथ रसोई और वाहन के ईंधन के रूप में सौर ऊर्जा इस्तेमाल की जा रही है। उनके अनुभव व बचत की राह को देख पड़ोस में पांच-छह परिवाहों ने भी सौर ऊर्जा का विकल्प चुना है। वहीं कई सैकड़ों परिवार हैं जो सौर ऊर्जा को बतौर ईंधन के विकल्प में अपना रहे हैं।
रसोई से लेकर सड़क तक सौर ऊर्जा का सहारा एएसआई जादौन ने सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के चलते बीते दस माह से एलपीजी सिलेंडर नहीं खरीदा। वे रसोई में इंडक्शन पर ही खाना बना रहे हैं। बिजली भी सौर ऊर्जा से उत्पन्न कर रहे हैं। वहीं ई-बाइक (ई-स्कूटर) का इस्तेमाल कर पेट्रोल के खर्च से भी बच रहे हैं। इन तीनों विकल्पों में करीब 10 हजार रुपए की प्रतिमाह बचत कर रहे हैं।
दस माह में 1100 यूनिट बचत जादौन परिवार ने दस माह में सौलर पैनल से 5 हजार 100 यूनिट उत्पादन किया। उसमें से 4 हजार यूनिट का उपभोग किया। उन्होंने अजमेर विद्युत वितरण निगम को ऑन ग्रिड स्कीम में शेष 1100 यूनिट दे दी। जिसका भविष्य में मौजूदा रेट 3 रुपए 50 पैसे प्रति यूनिट से भुगतान ले सकते हैं या फिर भविष्य में बिजली का उपभोग करके भी कर सकते हैं।

बचत का गणित-सौलर के इस्तेमाल के बाद चार सदस्य परिवार के खर्च व बचत का गणित- बिजली बिल न्यूतम चार्ज(4000 बचत) + घरेलू गैस अब शून्य(950 रुपए प्रति सिलेंडर बचत) + पेट्रोल-डीजल (4 हजार बचत) =9000 प्रतिमाह बचत
वन टाइम इन्वेस्टमेंट 1 लाख 70 हजार सौलर उपकरण+एक लाख ई बाइक + 4 हजार इंडक्शन व बर्तन = 2 लाख 74 हजार रुपए इनका कहना है बीते दस माह से घर में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल कर रहे हैं। घर की बिजली के तमाम उपकरण के साथ ई-बाइक चार्ज और रसोई में खाना पकाने तक में इस्तेमाल कर रहे है। महंगाई के दौर में एक बार खर्च कर हर माह 9 से 10 हजार रुपए की बचत कर रहे है।
दुर्गेशसिंह जादौन, एएसआई 
