पथ संचलन के मार्ग में चौराहा, व्यावसायिक प्रतिष्ठान व घरों के बाहर सतरंगी रंगोली सजाई गई। अजमेर में महावीर सर्किल से पथ संचलन शुरू हुआ जो गोल चक्कर होते हुए नया बाजार व दरगाह बाजार होता हुआ वापस महावीर सर्किल पर विसर्जित हुआ।
ब्यावर में पथ संचलन के दौरान केवल वही स्वयंसेवक सम्मिलित हुए, जो संचलन के नियमित होने वाले सभी अभ्यास वर्ग में भागीदार रहे हैं। स्वयंसेवकों ने कदम ताल का गुणवत्तायुक्त प्रदर्शन किया। पथ संचलन सुबह 11 बजे सुभाष उद्यान से शुरू हुआ और यहां से भारत माता मंदिर चौराहा, लौहारान चौपड़, सनातन धर्म स्कू ल चौराहा होते हुए सुबह ११.१० बजे मालियान चौपड़ पहुंचा। फिर यहां से रामदेव मंदिर होते हुए सुबह ११.१८ बजे चांगगेट, सुबह ११.२५ बजे लौहारान चौपड़, पंडि़त मार्केट होते हुए सुबह ११.३० बजे फतहपुरिया चौपड़, महादेवजी की छत्री सूरजपोल गेट होते हुए सुबह ११.३५ बजे पुन: सुभाष उद्यान पहुंच कर पथ संचलन समाप्त हुआ। पथ संचलन का शहरवासियों ने जगह-जगह पुष्प वर्षा कर स्वागत किया।
लोगों में रही उत्सुकता अजमेर व ब्यावर में पथ संचलन जिस भी मार्ग से गुजरा। लोग घरों की छत, गली-चौराहा पर एकत्र हो गए। इस दौरान संघ की गणवेश पहने स्वयंसेवकों के अनुशासन को देख लोगों में उत्सुकता रही। संचलन में सभी आयु वर्ग के स्वयंसेवक शामिल रहे।
संचलन के दौरान स्वयंसेवकों में देश सेवा का जज्बा दिखा। भूप, उदय, चेतक, मीरा, सोनभद्र समेत 10 से अधिक घोष रचनाओं का वादन करते हुए घोष वादक कदम से कदम मिला कर चले। संचलन के मध्य में ध्वजवाहिनी भी रही।
योग को 172 देशों ने मान्यता दी ब्यावर में पथ संचलन की समाप्ति के बाद सुभाष उद्यान में मुख्य वक्ता जिला संघचालक डॉ. क्षमाशील गुप्त ने स्वयंसेवकों को उच्चतम और सर्वश्रेष्ठ कार्य करने को कहा। गुप्त के अनुसार वसुदेव कुटुम्बकम् की भावना के साथ विश्व की मंगल कामना करने की सोच केवल और केवल भारत के पास है। भारत के योग को वर्तमान में १७२ देशों ने मान्यता प्रदान की है। भारत के वेद, आयुर्वेद और संस्कारों को आज सम्पूर्ण विश्व में मान्यता मिल रही है।