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Ajmer News: अजमीढ़ जयंती पर ठाठ-बाट से निकली शोभायात्रा

locationअजमेरPublished: Oct 14, 2019 11:52:53 am

Submitted by:

Preeti

महाराजा अजमीढ़ जयंती(Ajmiad Jayanti) शहर में पारंपरिक तरीके से मनाई गई। मैढ़ क्षत्रिय सभा के तत्वावधान में शोभायात्रा निकाली गई। इसमें मनमोहक झांकियां साथ चली।

अजमीढ़ जयंती पर ठाठ-बाट से निकली शोभायात्रा

अजमीढ़ जयंती पर ठाठ-बाट से निकली शोभायात्रा

अजमेर. महाराजा अजमीढ़ जयंती (IAjmiad maharaj Jayanti in ajmer)शहर में पारंपरिक तरीके से मनाई गई। मैढ़ क्षत्रिय सभा के तत्वावधान में शोभायात्रा (procession )निकाली गई। इसमें मनमोहक झांकियां(jhankiyan) साथ चली। शोभायात्रा का कई जगह पुष्प वर्षा (pushp varsha) से स्वागत किया गया।
ऋषिघाटी स्थित स्वर्णकार बगीची से बैंड-बाजे, ढोल ढमाकों के साथ शोभायात्रा रवाना हुई। ऊंट, घोड़े, बग्घी और ध्वज साथ चले। इस दौरान राधा कृष्ण, राम परिवार, श्याम बाबा एवं अम्बे माता की झांकियां भी निकाली गई। शोभायात्रा में महिलाएं कलश लेकर और पुरुष भजन गाते हुए साथ चले। शोभायात्रा दिल्ली गेट, धानमण्डी, लक्ष्मी चौक, नया बाजार, आगरा गेट, फव्वारा चौराहा होती हुई जनकपुरी पहुंची।
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पारितोषिक वितरण समारोह

जनकपुरी में पारितोषिक वितरण समारोह (Reward ceremony) हुआ। मुख्य अतिथि अध्यक्ष भंवरलाल मायछ थे। विशिष्ट अतिथि डॉ. सिद्धार्थ वर्मा, दुलीचन्द मौसूण, युवा अध्यक्ष अखिल भारतीय मैढ़ समाज गोविन्द आदि मौजूद थे। महाराजा अजमीढ़ के चित्र पर माल्यार्पण किया गया। सचिव राजेन्द्र सखवाया ने स्वागत किया। मुख्य अतिथि(chief guest) मायछ ने समाज के लोगों को पारंपरिक कला क्षेत्र को बनाए रखते हुए प्रतिस्पद्र्धा की दौड़ में बने रहने की बात कही। इस दौरान खेलकूद, शिक्षा सहित अन्य क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन और वृद्धजन का सम्मान किया गया।
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मनुष्य धन का लालच नहीं करे
अजमेर. कथावाचक दिव्य मोरारी बापू (Divya Morari Bapu)ने कहा कि मनुष्य को कभी धन का लालच नहीं करना चाहिए, बल्कि सदैव सहनशील रहना चाहिए। वे रविवार को प्रतापनगर लोहाखान में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के दौरान प्रवचन कर रहे थे।

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उन्होंने कहा कि धन कम, मन मध्यम तथा कर्म विशाल होना चाहिए। हमेशा अपने वरिष्ठजनों का सम्मान करना चाहिए तथा मनुष्य जीवन में बढ़-चढकऱ परोपकार के कार्य करने चाहिए। इसके अलावा हमेशा धर्म का पालन करना चाहिए।
भागवत के श्रवण मात्र से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है। उन्होंने कहा कि सर्वाधिक ऋषि क्षत्रिय कुल से ही बने हैं। इस दौरान उन्होंने शिव सती विवाह (shiv satee vivaah)का वर्णन किया। उन्होंने भजन आदि भी सुनाए, जिन पर श्रद्धालु महिलाओं ने नृत्य (dance) किया। सोमवार को कृष्ण जन्म की कथा (Legend of krishna birth) सुनाई जाएगी।
देर रात्रि शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) के मौके पर भजनों का आयोजन किया गया तथा रात्रि में प्रताप नगर विकास समिति की ओर से प्रसाद के रूप में खीर का वितरण किया। पूजा आरती के मुख्य यजमान बहादुरसिंह पीपरोली व प्रवीणसिंह भाटी थे। बजरंगसिंह शेखावत, शंकरसिंह राठौड़, पार्षद राजेन्द्रसिंह राठौड़, लेखराज सिंह राठौड़, नरेन्द्रसिंह भंवाड़ा, भंवरसिंह भाटी आदि ने सहयोग किया।
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