बच्चों को सता रही चिंता, शादी में ही क्या अब तो पढ़ाई में भी उम्र का बंधन
इस नियम के कारण कई जिलों के विद्यार्थी आठवीं में होने के बावजूद परीक्षा देने से वंचित रह जाएंगे।

ब्यावर।
भले शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक भारतीय का मूल अधिकार हो, लेकिन सरकार को इससे इत्तेफाक नहीं है। प्रारम्भिक शिक्षा पूर्णता प्रमाण पत्र परीक्षा (आठवीं बोर्ड) में इस बार १६ साल तक के ही बच्चों को आवेदन का पात्र माना गया है। इस नियम के कारण कई जिलों के विद्यार्थी आठवीं में होने के बावजूद परीक्षा देने से वंचित रह जाएंगे।
परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि १३ नवम्बर थी। इन आदेशों को लेकर निजी व सरकारी स्कूलों के संस्था प्रधान व अभिभावकों के चेहरे पर परेशानी देखी गई। १६ साल की उम्र को लेकर कोई नए आदेश नहीं आने के कारण पसोपेश की स्थिति बनी रही।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों की मानें तो आरटीई के तहत छह वर्ष के बच्चे को स्कूल में प्रवेश दिए जाने पर १४ वर्ष की आयु में वह आठवीं कक्षा में आएगा। इसमें कुछ आगे पीछे हो तो दो साल की छूट भी यदि दी जाए तो १६ वर्ष की आयु परीक्षा के लिए तय है।
इधर निजी स्कूलों में कई अभिभावकों ने अपने बच्चों को छह वर्ष की उम्र में दाखिला दिलाया। उनके निजी स्कूलों में एलकेजी, एचकेजी, प्रेप पढऩे में तीन साल गुजर गए और अब वह आठवीं कक्षा में पहुंचे तो उम्र १६ का पड़ाव पार कर गई। ऐसे में आठवीं कक्षा के लिए फार्म भरना टेढ़ी खीर हो गया है। ऐसा तब है जबकि देश का संविधान किसी विद्यार्थी अथवा नागरिक को पढऩे का अधिकार देता है। ऐसे में सरकार की रीति-नीति पर सवालिया निशान लग गए हैं।
गत वर्ष बदला था नियम
प्रारंभिक शिक्षा पूर्णता प्रमाण पत्र परीक्षा के लिए गत वर्ष भी १६ वर्ष तक के ही बच्चों को आवेदन का पात्र माना गया था। इसमें समस्या आने पर नियम को बदलकर १६ वर्ष से अधिक कर दिया गया।
उम्र की मांगी सूची
शिक्षा विभाग ने हर जिले के शिक्षा अधिकारियों से बच्चों की सूची मांगी है जो आठवीं बोर्ड की परीक्षा में बैठेंगे। इनकी उम्र १६ से अधिक हो चुकी है। इन बच्चों पर अब विचार किया जाएगा।
डाइट में इस मामले को लेकर शपथ पत्र लिया जा रहा है। अभी पुरानी गाइड लाइन से ही परीक्षा होगी।
निधि चौहान, ब्लॉक शिक्षा अधिकारी, जवाजा
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