तीन मंजिला विक्रमादित्य भवन में मैनेजमेंट की कक्षाएं चलती हैं। यहां दोपहर को तीसरे तल की बाहरी दीवार पर लगे बाडमेरी-जोधपुरी पत्थर और स्लैब नीचे गिर पड़े। तेज धमाका से मलबा बाहरी छत और छज्जे पर जा गिरा।
बाहर भागे शिक्षक-विद्यार्थी पत्थर और मलबा गिरने की आवाज सुनकर विद्यार्थी और शिक्षक सकते में आ गए। मैनेजमेंट विभाग के प्रो. मनोज कुमार, सह आचार्य डॉ. आशीष पारीक सहित अन्य शिक्षक और विद्यार्थी भवन के बाहर निकले। पत्थरों और स्लैब के बाहर के हिस्से में गिरने से बड़ा हादसा टल गया।
कुलपति पहुंचे प्रो. कुमार ने कुलपति प्रो. अनिल कुमार शुक्ला एवं कुलसचिव को सूचना दी। कुलपति तत्काल विक्रमादित्य भवन पहुंचे। उन्होंने आरएसआरडीसी के अभियंता और कनिष्ठ अभियंता कार्यालय के स्टाफ को बुलाकर तत्काल मरम्मत कराने के निर्देश जारी किए।
कई भवन पहले से जर्जर विक्रमादित्य भवन सहित नचिकेता छात्रावास, सामाजिक विज्ञान वाल्मीकि भवन, विवि के प्रोफेसर क्वाटर्स, सीईएसबीएम का हॉस्टल और टेनिस पवेलियन के कई हिस्से जर्जर हैं। भवनों की मरम्मत कराने को लेकर विवि गंभीर नहीं है। सामाजिक विज्ञान भवन तो सड़क लेवल से भी नीचे बनाया गया है। भवनों में जगह-जगह प्लास्टर झड़ रहा है। कई दीवारों में खतरनाक दरारें दिखाई देती हैं। स्टाफ कॉलोनी में बने रजिस्ट्रार और परीक्षा नियंत्रक भवन तो रहने लायक नहीं हैं।