यूजर एजेंसी है पीडब्ल्यूडी एडीए की ओर से पीडब्ल्यूडी को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि सडक़ का मालिकाना हक पीडब्ल्यूडी का है। एडीए ने केवल जनहित में पीडब्ल्यूडी की एनओसी के बाद फोरलेन तथा डिवाइडर व लाइटिंग का काम दो साल पूर्व शुरू किया। वन संरक्षण अधिनियम के तहत सामान्य स्वीकृति के तहत धारा-2 में वन विभाग की 0.965 हैक्टेयर भूमि के प्रत्यावर्तन की कार्यवाही पीडब्ल्यूडी द्वारा ही की जानी है। मामले में पीडब्ल्यूडी यूजर एजेंसी तथा एडीए कार्यकारी एजेंसी है। ऐसे में अनुमति लेनी की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी की है।
हाइवे से जोड़ती है सडक़ यह सडक़ अजमेर की मुख्य सडक़ (एमडीआर) है। इस सडक़ पर राजस्थान सरकार के मुख्य विभाग एवं संस्थान हैं। इनमें प्रमुख रूप से जनाना अस्पताल, आईजी स्टाम्प, निजी कॉलेज व आईटीआई स्थापित हैं। यह मुख्य सडक़ एनएच 79 से जोड़ती है। इससे नागौर, बीकानेर, जयपुर व सीकर के लिए सीधे ही जाया जा सकता है। प्राधिकरण ने प्रथम चरण में लोहागल गांव से जनाना अस्पताल तिराहे तक सडक़ को फोरलेन करते हुए डिवाइडर बनाया है तथा सडक़ पर लाइटें भी लगाई हैं। दूसरे चरण के लिए एडीए ने तीन करोड़ के टेंडर जारी किए हैं।
इनका कहना है एडीए द्वारा समय-समय पर विभिन्न विभागों की सम्पत्तियों पर जनहित में विकास कार्य करवाया जाता है। स्वामित्व सम्बन्धित विभाग का ही रहता है। हम जनहित में सडक़ को फोर लेन कर रहे हैं।
-निशांत जैन, आयुक्त एडीए