यहां होते स्टूडेंट्स परेशान, स्टाफ नहीं करना चाहता ये जरूरी काम अजमेर. लगातार घटते स्टाफ से महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय नई चुनौतियों से जूझ रहा है। इसमें सबसे अहम परीक्षा परिणामों के टीआर (टेबुलेशन रजिस्टर) में करनेक्शन (संशोधन) कार्य है। पांच साल से टीआर में नियमित करेक्शन नहीं हो रहे। लगातार बैकलॉग बढ़ रहा है। इसके चलते विद्यार्थियों सहित कर्मचारियों को परेशानियां बढ़ रही हैं।
विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष स्नातक आर स्नातकोत्तर स्तर की विषयवार परीक्षाएं कराता हैं। इनमें कला, वाणिज्य, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, विधि, प्रबंधन और अन्य संकाय शामिल हैं। परीक्षाओं के बाद नतीजे घोषित होते हैं। विषयवार घोषित परिणामों के कंप्यूटराइज्ड टेबुलेशन रजिस्टर बनते हैं। इसकी एक प्रति संबंधित अनुभाग, दूसरी गोपनीय विभाग और तीसरी कंप्यूटर सेंटर में भेजी जाती है।
इसीलिए होते हैं करेक्शन
मुख्य परीक्षाओं में नंबर कम आने पर विद्यार्थी पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करते हैं। इनमें ३० से ४० प्रतिशत विद्यार्थियों के नंबर बढ़ जाते हैं। नियमानुसार बढ़े हुए नंबरों को मूल परीक्षा परिणामों के टेबुलेशन रजिस्टर में अंकित कर सील लगानी पड़ती है। ताकि परीक्षा और गोपनीय विभाग विद्यार्थियों के परिणाम को लेकर प्रतिवर्ष अपडेट रहे। साथ ही उसे सही मार्कशीट मिले।
मुख्य परीक्षाओं में नंबर कम आने पर विद्यार्थी पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन करते हैं। इनमें ३० से ४० प्रतिशत विद्यार्थियों के नंबर बढ़ जाते हैं। नियमानुसार बढ़े हुए नंबरों को मूल परीक्षा परिणामों के टेबुलेशन रजिस्टर में अंकित कर सील लगानी पड़ती है। ताकि परीक्षा और गोपनीय विभाग विद्यार्थियों के परिणाम को लेकर प्रतिवर्ष अपडेट रहे। साथ ही उसे सही मार्कशीट मिले।
कम स्टाफ ने बढ़ाई चुनौती
विश्वविद्यालय के एक्ट के मुताबिक टीआर में करेक्शन अनुभाग अधिकारी अथवा सहायक ही करने के लिए अधिकृत हैं। इनके किए करेक्शन पर परीक्षा विभाग के सहायक कुलसचिव के हस्ताक्षर होते हैं। ताकि संशोधनों में कोई त्रुटि नहीं रहे। लेकिन लगातार सेवानिवृत्तियों से विश्वविद्यालय का परीक्षात्मक कामकाज प्रभावित हो रहा है।
विश्वविद्यालय के एक्ट के मुताबिक टीआर में करेक्शन अनुभाग अधिकारी अथवा सहायक ही करने के लिए अधिकृत हैं। इनके किए करेक्शन पर परीक्षा विभाग के सहायक कुलसचिव के हस्ताक्षर होते हैं। ताकि संशोधनों में कोई त्रुटि नहीं रहे। लेकिन लगातार सेवानिवृत्तियों से विश्वविद्यालय का परीक्षात्मक कामकाज प्रभावित हो रहा है।