कृषि उपज मंडी व्यापारियों का कहना है कि 2012 में कृषि उपज मंडी प्रशासन की ओर से आवेदन करवा कर बाकायदा लॉटरी निकाली गई थी। जिसमें 28 दुकानों और कुछ भूखंड का आवंटन किया जाना सुनिश्चित किया गया था। जिनकी लॉटरी निकली थी, उनसे कृषि उपज मंडी प्रशासन ने 10-10 हजार रुपए जमा करवाए गए थे, लेकिन बाद में पूरा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। ऐसे में मंडी के सब्जी और फल आढ़़तियां आज भी मंडी से मिलने वाली दुकान और भूखंडों का इंतजार कर रहे हैं।
कृषि उपज मंडी में काम करने वाले आढ़तियां जफर खान, पप्पू, सतीश, सौरभ, निजामुद्दीन, इस्लाम, ईशाक आदि ने बताया कि मंडी प्रशासन की ओर से विज्ञप्ति निकाली गई थी। जिनमें उन्हें लॉटरी से दुकान एवं भूखंडों का आवंटन हुआ था। जिसके तहत सारी फाइल तैयार कर और रसीद कटवाकर कार्यवाही के लिए आगे प्रेषित कर दिया गया था। लेकिन मामले को 10 वर्ष गुजरने के बाद भी आज तक न तो पैसे वापस आए और न ही हमें दुकानों का आवंटन हुआ।
वहीं मामले में धौलपुर मंडी सचिव कैलाश चंद मीणा का कहना है कि जो दुकान या प्लॉट आवंटित किए गए थे, उन सब की प्रक्रिया विचाराधीन है। मामले में एक दो बार कोर्ट का सामना करना पड़ा था, लेकिन अब जल्द ही दुकानें आवंटित कर दी जाएंगी।
सरकारी ढांचा पूरी तरह लेटलतीफी पर आधारित होता है। जहां 1 वर्ष में सारी व्यवस्थाएं पूरी तरह बदल जाती हैं तो छोटी-छोटी दुकानों का आवंटन 10 वर्षों तक ना होना व्यापारियों के साथ अत्याचार से कम नहीं हैं।होतम सिंह, सब्जी विक्रेता