अजमेर

दरगाह ब्लास्ट प्रकरण-8 मार्च तक टला फैसला, अगली सुनवाई में उठेगा पर्दा

सीबीआई कोर्ट जयपुर में चल रही थी सुनवाई। शनिवार को आना था दरगाह ब्लास्ट मामले में फैसला।

अजमेरFeb 25, 2017 / 11:26 am

raktim tiwari

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ख्वाजा साहब की दरगाह में 9 साल पहले हुए बम ब्लास्ट मामले में जयपुर की सीबीआई कोर्ट संख्या दो एवं राष्ट्रीय अनुसंधान संस्था (एनआईए-विशेष प्रभार) की अदालत 8 मार्च तक फैसला टल गया है। फैसले के लिए शनिवार की तिथि नियत थी। इससे पूर्व फरवरी के प्रथम सप्ताह में अंतिम बहस पूरी कर ली गई थी। 
दरगाह में 11 अक्टूबर 2007 को रमजान के महिने में हुए बम विस्फोट में तीन जनों की मौत हो गई थी जबकि करीब 15 जने घायल हुए थे। अनुसंधान में वारदात के पीछे विशेष संगठन का भी नाम आया। बाद में इसकी जांच सीबीआई की विशेष अदालत ने की। शनिवार को फैसला सुनाया जाना था, लेकिन यह 8 मार्च तक टल गया है। 
इनकी हुई थी मौत

बम ब्लास्ट में हैदराबाद निवासी सलीम, मोहम्मद शोएब और डॉ. बद्रीऊल हसन की मौत हो गई।

चार आरोप पत्र हुए थे दाखिल

1- आरोप पत्र संख्या 92 विरुद्ध – देवेन्द्र गुप्ता अजमेर का मूल लेकिन वारदात के समय मध्यप्रदेश निवासी, चंद्रशेखर शाजापुर मध्यप्रदेश, लोके श शर्मा महू, मध्य प्रदेश
2- आरोप पत्र संख्या 92 ए विरुद्ध – मुकेश वासानी व हर्षद – गुजरात निवासीगण।

3- आरोप पत्र संख्या 92 बी विरुद्ध – नबकुमार सरकार उर्फ स्वामी असीमानंद, भरतेश्वर उर्फ भरत।

4- आरोप पत्र संख्या 92 सी विरुद्ध – भावेश पटेल व मेहुल।
गिरफ्तारी हुई लेकिन चार्जशीट दाखिल नहीं

सीबीआई ने मामले में जांच के दौरान रमेश गोहिल, जयंती भाई मेहुल व हर्षद को गिरफ्तार किया था। ये गुजरात के बेस्ट बेकरी कांड में भी आरोपित थे। इनके मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दुबारा सुनवाई के आदेश दिए थे। इनमें से जयंती भाई व रमेश गोहिल की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई थी। इन्हें सीआरपीसी की धारा 167 (2) में गिरफ्तारी हुई लेकिन चार्जशीट पेश नहीं की थी।
इन धाराओं मंें चला मुकदमा

302, 307, 295ए व 120 बी, 201 भादसं, धारा 3 बम विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, धारा 13(2),16,18 व 20 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण अधिनियम।

149 गवाह, 13 पक्षद्रोही, 451 दस्तावेज
मामले में 149 लोगों की गवाही हुई जिसमें झारखंड के एक मंत्री भी शामिल रहे। वहीं 451 दस्तावेज पेश किए गए। प्रकरण में मात्र 13 गवाह पक्षद्रोही हुए थे। मामले में चार आरोप पत्र दाखिल किए गए थे। इसमें असीमानंद के खिलाफ भी पृथक से आरोप पत्र दाखिल किया गया। चार अन्य आरोपितों को भी गिरफ्तार किया गया लेकिन उनके खिलाफ चार्ज शीट दाखिल नहीं की गई थी। दो आरोपितों की सुनवाई के दौरान मृत्यु हो गई। 

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