अजमेर

बोले दरगाह के खादिम…देखिए मोदीजी 25 साल से चल रहा ऐसा खेल, आप कराइए यहां जांच

मुस्लिम धर्म गुरु अपने श्रेष्ठतम शिष्य को सज्जादानशीं बनाते हैं जो उनके नक्शे कदम पर चलता है।

अजमेरApr 20, 2018 / 03:29 pm

raktim tiwari

khadims written letter to pm modi

दरगाह दीवान जैलुअल आबेदीन पर देश की जनता व विभिन्न धर्मों के लोगों को भ्रमित करने का आरोप लगाया है। आरोप है कि पिछले 25 वर्षों से वह गलत बयानी कर आमजन की देशभक्ति की भावना से खेल रहे हैं।
दरगाह दीवान के क्रिया-कलापों की जांच कराने के लिए आयोग गठित करने की मांग की गई है। इस संबंध में अंजुमन कमेटी सैय्यद जादगान के पूर्व सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।
पत्र में सैयद चिश्ती ने आरोप लगाया है कि परम्परा अनुसार कोई भी खलीफा या मुस्लिम धर्म गुरु अपने श्रेष्ठतम शिष्य को सज्जादानशीं बनाते हैं जो उनके नक्शे कदम पर चलता है। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती ने कुतुबुद्दीन चिश्ती को सज्जादानशीं बनाया जिनकी दरगाह महरोली में है। इसी प्रकार कतुबुद्दीन ने बाबा फरीद को बनाया, जिनकी दरगाह पाक पट्टन पाकिस्तान में है। फरीद ने अपना सज्जादानशी निजामुद्दीन औलिया को बनाया। निजामुद्दीन ने नसीरुद्दीन देहलवी को बनाया जिनकी मजार भी दिल्ली में है।
सरवर चिश्ती ने पत्र में आरोप लगाया है कि इसके बाद कोई सज्जादानशी नहीं बनाए गए केवल खलीफा बनाए गए। चिश्ती ने बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति रहे खलीफ अहमद नियाजी की पुस्तक खैरुल मजालिस में भी इसका जिक्र है। चिश्ती का आरोप है कि देश की सुन्नी संस्थाएं भी दरगाह दीवान को सज्जादानशी व ख्वाजा साहब का वंशज नहीं मानते हैं। उन्होंने पीएम मोदी से मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है।

दोनों पक्षों में है पुराना विवाद

दरगाह दीवान और खादिमों के बीच विवाद काफी पुराना है। जहां दरगाह में आने वाले चढ़ावे को लेकर दीवान ने खादिमों के खिलाफ कई मामले दर्ज करा रखे हैं। वहीं खादिम भी दीवान के खिलाफ ताल ठोककर बैठे हैं। दोनों पक्षों में कई बार विरोध की स्थिति बन जाती है। हाल में ख्वाजा साहब के उर्स के दौरान खादिमों ने कथित तौर पर दरगाह दीवान को गुस्ल की रस्म में जाने से रोक दिया था। दीवान जन्नती दरवाजे के बाहर करीब 5 घंटे बैठे रहे। किसी खादिम ने दरवाजे पर ताला भी लगा दिया था। ऐसे में दीवान को वापस लौटना पड़ा था।
 
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