अजमेर

Lok sabha Election : जातीय समीकरण और गुटबाजी के पेंच में उलझा अजमेर का भविष्य

जगतपिता ब्रह्मा, सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की पावन भूमि अजमेर संसदीय सीट पर इस बार भी कांग्रेस-भाजपा में सीधा मुकाबला है

अजमेरApr 17, 2019 / 11:39 pm

Kanaram Mundiyar

Ajmer loksabha constituency, Ground Report of Before Election

लोकसभा चुनाव 2019
के. आर. मुण्डियार

अजमेर.

जगतपिता ब्रह्मा, सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती और सम्राट पृथ्वीराज चौहान की पावन भूमि अजमेर संसदीय सीट पर इस बार भी कांग्रेस-भाजपा में सीधा मुकाबला है। भाजपा ने इस बार भी जातीय कार्ड खेलते हुए वोटों के ध्रुवीकरण के सहारे जीत की उम्मीद लगाई है तो कांग्रेस ने इस बार वैश्य वर्ग के नए चेहरे पर दांव लगाया है।

हालाांकि Loksabha Election 2019 के अजमेर लोकसभा क्षेत्र में चुनाव को लेकर उत्साहित माहौल कहीं ज्यादा नजर नहीं आ रहा है, लेकिन आमजन से चर्चा पर अजमेर के भविष्य पर कयास जरूर लगा सकते हैं कि जीत का सेहरा किसके सिर बंधने वाला है? क्षेत्र के किशनगढ़, दूदू, पुष्कर, मसूदा क्षेत्र में खुलकर आवाज आ रही है तो नसीराबाद व केकड़ी में मतदाता पत्ते नहीं खोल रहे हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में मोदी लहर के चलते भाजपा ने कांग्रेस को 1 लाख 71 हजार 983 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी। भाजपा के सांवरलाल जाट ने कांग्रेस के सचिन पायलट (वर्तमान में उपमुख्यमंत्री) को हराया था। जाट के निधन के बाद वर्ष 2018 में उपचुनाव में भाजपा ने जाट के बेटे रामस्वरूप लाम्बा पर दांव खेला था, लेकिन कांग्रेस के रघु शर्मा 84 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत का सेहरा बांध गए। समस्याएं व पेयजल की परेशानी कई सालों से जस की तस बनी हुई है। पत्रिका ने क्षेत्र की नब्ज टटोली तो कई तरह की प्रतिक्रिया भी सामने आई।


किशनगढ़ में सुमेर टॉकिज सर्किल पर चाय की थड़ी पर बैठे बालस्वरूप व गोपाललाल कुमावत ने कहा कि नेताओं का काम देखकर ही वोट करेंगे। सुशील ने बताया कि किशनगढ़ में बाहरी व स्थानीय का कोई मुद्दा नहीं है। विधानसभा चुनाव में क्षेत्र का वोटबैंक जातिवाद के खिलाफ ध्रुवीकरण का था, लेकिन लोकसभा चुनाव की हवा अलग है। गोपालसिंह बताते हैं कि दस साल में विकास कार्य हुए, हमारे लिए क्षेत्रवाद ही बड़ा मुद्दा है।


दूदू के गांव दांतरी में दुकान पर बतियाते श्योपाल ने कहा कि पिछले 15 साल और अभी के 5 साल बराबर हैं। विधानसभा चुनाव में विकास की बजाय उम्मीदवार देखकर निर्दलीय को जिताया। भूरजी ने कहा कि दुनिया देई जीने ही बोट देवां, बच्या बोली बीनै बोट दैऊं। किसान कानाराम ने कहा ‘किसानां को माल आवै तो भाव घटा दैवे, चणा का टॉकन नहीं मिल रिया है, चणा की खरीद कौनी कर रिया है।’

 

केकड़ी विधानसभा क्षेत्र के शोकलिया गांव में महावीर प्रसाद ने कहा कि पानी की समस्या सबसे बड़ी समस्या है। किसान हर तरह से परेशान है। वोट सोच समझकर देंगे। बालूराम ने कहा कि पानी, सडक़ की समस्या है, नेताओं से जवाब मांगेंगे। नसीराबाद में गन्ने के जूस की दुकान पर बैठे बुजुर्ग ने कहा कि भाजपा का विधायक बना, लेकिन काम नहीं हुए।


अजमेर दक्षिण में राजा साइकिल चौराहे पर स्थित पार्क में व्यायाम करने आई शिल्पी चौधरी ने कहा कि अजमेर में वैसे कोई बड़ी समस्या नहीं है, लेकिन शिक्षा के और केन्द्र विकसित होने चाहिए। जॉब की सुविधा बढऩी चाहिए। स्मार्ट सिटी में काम हुए हैं। मधु चौधरी ने कहा कि सब अपना अपना घर भरते हैं, सरकारी नौकरी वालों को सुविधाएं मिलती है, प्राइवेट जॉब करने वाले रोज कुआं खोदकर पानी पीते हैं। मजबूरी है कि वोट तो देना ही है। रामस्वरूप ने कहा कि पानी सबसे बड़ा मुद्दा है, जब बीसलपुर बांध अजमेर के लिए बना तो जयपुर को पानी क्यों दिया जा रहा है?


पुष्कर विधानसभा क्षेत्र के घूघरा में रामगोपाल ने कहा कि पानी की प्रमुख समस्या है। पहले हमें गांव, फिर राज्य व देश के लिए सोचना है। पुष्कर विधानसभा क्षेत्र में प्रमुख समस्या आबादी विस्तार की है। 30 प्रतिशत लोग चरागाह भूमि में रह रहे हैं। कन्हैयालाल ने कहा कि विकास के नाम पर कुछ नहीं हुआ।


अब तक-
07 प्रत्याशी चुनाव मैदान में
1,951 मतदान केन्द्र
17 चुनाव अब तक
10 बार कांग्रेस जीती
7 बार भाजपा जीती


2014: जीते – सांवरलाल जाट (भाजपा ) 68.69% वोट
2018 के उपचुनाव जीते – डॉ. रघु शर्मा (कांग्रेस) 65.60 % वोट


ये चुनेंगे भावी सांसद-
कुल मतदाता : 18 लाख 76 हजार 346
पुरुष मतदाता : 09 लाख 44 हजार 976
महिला मतदाता : 09 लाख 13 हजार 473
1,19,815 नए मतदाता जोड़े

चुनाव के मुख्य मुद्दे-
-3-4 दिन में पेयजल सप्लाई
-पेराफेरी गांवों में आबादी विस्तार
-समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद कम
-सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलता
-रोजगार के साधनों की कमी

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