सुरेश लालवानी
अजमेर. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान ने राज्य के परीक्षा केन्द्रों की निगरानी के लिए क्लोज सर्किट टीवी कैमरों पर चार वर्ष में 10 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए है। सीसीटीवी कैमरों की अस्थायी व्यवस्था पर अनुबंध के आधार पर खर्च की गई है।
आंकड़े चौकाने वाले
बोर्ड परीक्षाओं के दौरान इस साल 20 लाख विद्र्यािथयों में से नकल करने के सिर्फ 35 मामले सामने आए हैं। बोर्ड की ओर से सीसीटीवी कैमरे लगाने के अलावा लगभग सवा तीन हजार परीक्षा केन्द्रों पर वीडियोग्राफी कराई जाती है। मुख्यालय स्तर के अलावा जिला और तहसील स्तर पर सैकड़ों उडऩदस्तों का गठन किया जाता है। इस पर भी प्रति वर्ष लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं। साढे पांच हजार परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा देने वाले लगभग 20 लाख विद्र्यािथयों में से महज 35 नकलची पकड़े जाने के आंकड़े चौकाने वाले हैं। इससे जाहिर होता है कि इतने तामझाम के बावजूद निगरानी की महज औपचारिकता पूरी की जा रही है। हालांकि बोर्ड अधिकारी इन आंकड़ों को लेकर काफी सकारात्मक रुख दिखा रहे हैं। उनका दावा है कि नकल रोकने के लिए की जाने वाली इस तरह की चाक-चौबद व्यवस्थाओं की बदौलत विद्यार्थी नकल अथवा अनुचित साधनों के प्रयोग से परहेज कर रहे हैं।
अस्थाई व्यवस्था पर खर्च 10 करोड़, जबकि बोर्ड मुख्यालय में नहीं कैमरे
बोर्ड की सीनियर सैकंडरी और सैकंडरी परीक्षा के लिए साढे पांच हजार से अधिक परीक्षा केन्द्र बनाए जाते हैं। हालांकि नकल रोकने के लिए इनमें से महज 350 परीक्षा केन्द्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने की व्यवस्था की जाती है। इसका नियंत्रण कक्ष बोर्ड मुख्यालय में बनाया जाता है। यहां कथित रूप से बोर्ड अधिकारी परीक्षा समय में इन केन्द्रों पर होने वाली छोटी मोटी गतिविधियों पर पैनी नजर रखे रहते हैं। यह महंगी व्यवस्था स्थायी नहीं होकर महज परीक्षा काल के एक माह तक की जाती है। इसके बाद अनुबंध एजेंसी अपना साजो सामान समेटकर रवाना हो जाती है।
हैरत की बात यह है कि अस्थायी व्यवस्था पर करोड़ों रुपए खर्च करने वाला बोर्ड अपने मुख्यालय पर अब तक कैमरे नहीं लगा पाया है। बोर्ड मुख्यालय में परीक्षा संबंधी महत्वपूर्ण कार्य होता है और रोजाना सैकड़ों बाहरी लोगों का आना-जाना लगा रहता है। विद्र्यािथयों की लगभग एक करोड़ उत्तरपुस्तिकाएं भी बोर्ड मुख्यालय में रखी जाती है। इस वजह से मुख्यालय में सीसीटीवी कैमरे लगाना कारगर साबित हो सकता है। सिर्फ गोपनीय विभाग में कुछ कैमरे लगे हुए हैं लेकिन इनमें से अधिकांश खराब ही रहते हैं।