कोरोना संक्रमण के चलते लॉकडाउन और चिकन-अंडे से कोरोना फैलने की अफवाह के कारण पोल्ट्री व्यवसाय बदहाली के कगार पर पहुंच गया था। दाना नहीं मिलने और अंडे-चिकन की बिक्री नहीं होने से कई पोल्ट्री फार्म संचालकों ने अपनी मुर्गियों को जिंदा दफन कर दिया था। कोरोना से पहले जिले में 70 लाख के करीब मुर्गी पालन होता था, अब बमुश्किल 5 से 7 लाख मुर्गियां बची हैं। बाजार में चिकन और अंडे की मांग बढऩे और पोल्ट्री फीड के भावों में कमी के कारण पोल्ट्री व्यवसाय फिर से रफ्तार पकडऩे लगा है। फार्मरों ने फिर से चूजे पालना शुरू कर दिया है। जुलाई से सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह तक 25 लाख के करीब चूजों की खरीद हुई है, हालांकि अभी भी 50 प्रतिशत पोल्ट्री फार्म खाली पड़े हैं।
कई राज्यों में होता है सप्लाई लॉकडाउन के कारण अंडे और चिकन की बिल्कुल डिमांड खत्म हो गई है। अजमेर के पोल्ट्री फार्म का अंडा राजस्थान सहित उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्यप्रदेश में सप्लाई होता है। अब इन जगहों पर भी अंडों की आपूर्ति फिर से शुरू हो गई है। इसके कारण दिनों-दिन डिमांड बढऩे लगी है। सर्दी तक इसमें ओर तेजी की उम्मीद है।
फैक्ट फाइल – 1000 फार्म थे कोरोना से पहले जिले में
– 400 करीब हैं वर्तमान में पोल्ट्रीफार्म संचालित – 70 लाख थी कोरोना से पहले कुक्कुट की संख्या
– 30-35 लाख वर्तमान में चूजे सहित कुक्कट की संख्या
– 400 करीब हैं वर्तमान में पोल्ट्रीफार्म संचालित – 70 लाख थी कोरोना से पहले कुक्कुट की संख्या
– 30-35 लाख वर्तमान में चूजे सहित कुक्कट की संख्या
इनका कहना है… अजमेर के लिए कहावत है कि फार्मर बदलते रहते हैं और पोल्ट्री चलती रहती है। इसी के कारण जुलाई से अभी तक 25 लाख चूजे पाले जा रहे हैं। सर्दी तक प्रोडक्शन फिर से शुरू हो जाएगा। वर्तमान में 400 के करीब पोल्ट्रीफार्म संचालित हैं।
– डॉ. आलोक खरे
– डॉ. आलोक खरे
वरिष्ठ चिकित्सक राज्य कुक्कुट पालन प्रशिक्षण संस्थान