डॉ. राजूलाल शर्मा बांडी नदी और आनासागर झील तक जलकुंभी तक पहुंचना नुकसानदायक है। इसको समूल नष्ट करना जरूरी है। झील में जलकुंभी नहीं पहुंचे इसके लिए विशेषज्ञों से परामर्श लेना जरूरी है।
जितेंद्र मित्तल गुलमोहर कॉलोनी, गौरव पथ और इसके आसपास जलकुंभी फैली हुई है। बदबू से पूूरा क्षेत्र प्रभावित है। झील में नियमित सफाई बहुत जरूरी है। खरपतवार को जड़ से नष्ट नहीं किया गया तो आनासागर का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
मंजू सुराणा
मंजू सुराणा
Read More: जलकुम्भी से आनासागर की सुंदरता और पानी का खतरा अजमेर. प्राकृतिक सुंदरता और पक्षियों की पसंदीदा आश्रय स्थल माने जाने वाली आनासागर झील पर खतरा मंडरा रहा है। इसके कई इलाकों में जलकुम्भी लगातार दिखाई देती है। यही स्थिति रही तो एक खूबसूरत झील जल्द बर्बादी के कगार पर पहुंच सकती है।
आनासागर झील में बांडी नदी, गौरव पथ, पुष्कर रोड और आसपास के इलाके में जलकुम्भी अक्सर दिखाई देती है। ऊपर से सफाई के बावजूद इसका पानी के भीतर फैलाव हो रहा है। कई मर्तबा यह टापू और झील के बीचों-बीच नजर आती है। जलकुंभी को कॉमन वाटर हायसिंथ (नीला शैतान) कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम (इकॉरनीय प्रेसिपस) भी है। मूलत: यह दक्षिणी अमरीका की अमेजन नदी के किनारे पाया जाता था। वहां से अंग्रेज इसको सजावटी पौधे के रूप में भारत में लाए। तबसे यह देश के विभिन्न राज्यों, शहरों और गांवों तक पैर पसार चुका है।
आनासागर में जलकुंभी के खास कारण...... मछली पालन और अन्य कार्यों में लगे ठेकेदार आनासागर झील को नुकसान पहुंचा रहे हैं। कुछ लोग जलकुंभी लाकर डालते हैं। इससे पानी और जीव-जंतुओं को नुकसान पहुंच रहा है।
-झील में बांडी नदी और 13-14 नालों से पानी पहुंचता है। बजरी और अन्य सामग्री पानी के साथ आनासागर में पहुंच रही है। इसके चलते जलकुंभी को फैलने का अवसर मिल रहा है। -आनासागर की सफाई के लिए डीविडिंग मशीन चलती है। इससे ऊपरी तौर पर सफाई हो जाती है। लेकिन जलकुंभी को समूल नष्ट नहीं किया जा रहा है।