यह हैं वास्तविक कारण अजमेर की रैंकिग गिरने के मामले में अधिकारी भले ही सफाई दें लेकिन स्मार्ट सिटी के अभियंताओं की कार्यशैली ही इसके पिछडऩे का प्रमुख कारण है। स्मार्ट सिटी के बड़े प्रोजेक्ट जिनमें 250 करोड़ का एलीवेटेड रोड भी शामिल है। वह अधूरा चल रहा है जबकि उसकी टाइम लाइन 1 साल पहले ही पूरी हो चुकी है। 100 करोड़ का सीवर लाइन प्रोजेक्ट, 100 करोड़ का पेयजल प्रोजेक्ट भी अधूरा है। जबकि उदयपुर स्मार्ट सिटी ने 550 करोड़ का एक ही प्रोजेक्ट पूरा कर 12 नम्बर अतिरिक्त हासिल कर लिए। अजमेर स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट आधे अधूरे चल रहे है। ऐसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिनसे आमजन का कोई जुड़ाव नहीं है। कई प्रोजेक्ट ऐसे भी है जिनका शिलान्यास किए हुए बरसों हो गए लेकर एक ईंट भी आज तक नहीं लगी। गिनाने के नाम केवल 1 करोड़ , 50 लाख के छोटे मोटे प्रोजेक्ट हैं। इसलिए रैंकिग में गिरावट दर्ज की गई है। अधिकारियों द्वारा मनमर्जी करना। प्रोजेक्टों में घोटले भी प्रमुख कारण हैं।
इनका कहना है एडीए ने अब तक अपने हिस्से से केवल 4 करोड़ दिए है। जबकि नगर निगम ने 10 करोड़ की राशि दी है। एडीए ने चालू वित्तीय वर्ष में अपने बजट में से 50 करोड़ की राशि स्मार्ट सिटी को दिए जाने के लिए प्रस्ताव पारित किया है। जबकि नगर निगम ने वित्त विभाग को पत्र लिखा कि उसे दी जाने वाली ग्रांट राशि को स्मार्ट सिटी को देकर समायोजित कर लिया जाए। यह राशि मिलते ही रैंकिग में सुधार हो जाएगा।
डॉ.खुशाल यादव, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्मार्ट सिटी के अजमेर read more: तूफान के असर से निपटने के लिए डिस्कॉम ने कसी कमर