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अजमेर स्मार्ट सिटी की रैंकिंग: नगर निगम व एडीए ने हिस्सा नहीं दिया इसलिए पिछड़े

locationअजमेरPublished: May 19, 2021 08:23:40 pm

Submitted by:

bhupendra singh

18 से 29 पर पहुंचने का मामला
अधिकारियों ने दी सफाई

अजमेर. केन्द्र सरकार द्वारा देशभर की स्मार्ट सिटी के जारी की गई रैंकिग Ranking में अजमेर स्मार्ट को 10 साल पायदान लुढ़ कर 29 नम्बर पर पहुंचने के मामले में अब स्मार्ट सिटी Ajmer Smart City के अधिकारी सफाई देते नजर आ रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि नगर निगम व अजमेर विकास प्राधिकरण द्वारा उनकी हिस्सा राशि नहीं देने के कारण इस बार अजमेर स्मार्ट सिटी की रैंकिग में गिरावट आई है। स्मार्ट सिटी परियोजना की लागत 1000 करोड़ में से केन्द्र सरकार का हिस्सा 500 करोड़ (50 प्रतिशत), राज्य सरकार 300 करोड़ (30 प्रतिशत) है। इसके अलावा नगर निगम Municipal Corporation 100 करोड़ (10 प्रतिशत) तथा अजमेर विकास प्राधिकरण ADA 100 करोड़ (10 प्रतिशत) है। केन्द्र व राज्य सरकार ने अपने हिस्से की राशि जारी कर दी है जबकि इसके अनुरूप नगर निगम व प्राधिकरण ने अपना हिस्सा नहीं दिया। इसके लिए अजमेर स्मार्ट सिटी 23 नम्बर हासिल नहीं कर सकी। अजमेर स्मार्ट सिटी को अब तक 379 करोड़ की ग्रांट मिल सकी है इसके एवज में 332 करोड़ रूपए खर्च किए गए 47.03 करोड़ शेष है। स्मार्ट सिटी के लिए कुल स्वीकृत राशि में से 2 प्रतिशत प्रशासनिक व्यय भी काटा जाता है।
यह हैं वास्तविक कारण

अजमेर की रैंकिग गिरने के मामले में अधिकारी भले ही सफाई दें लेकिन स्मार्ट सिटी के अभियंताओं की कार्यशैली ही इसके पिछडऩे का प्रमुख कारण है। स्मार्ट सिटी के बड़े प्रोजेक्ट जिनमें 250 करोड़ का एलीवेटेड रोड भी शामिल है। वह अधूरा चल रहा है जबकि उसकी टाइम लाइन 1 साल पहले ही पूरी हो चुकी है। 100 करोड़ का सीवर लाइन प्रोजेक्ट, 100 करोड़ का पेयजल प्रोजेक्ट भी अधूरा है। जबकि उदयपुर स्मार्ट सिटी ने 550 करोड़ का एक ही प्रोजेक्ट पूरा कर 12 नम्बर अतिरिक्त हासिल कर लिए। अजमेर स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट आधे अधूरे चल रहे है। ऐसे प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिनसे आमजन का कोई जुड़ाव नहीं है। कई प्रोजेक्ट ऐसे भी है जिनका शिलान्यास किए हुए बरसों हो गए लेकर एक ईंट भी आज तक नहीं लगी। गिनाने के नाम केवल 1 करोड़ , 50 लाख के छोटे मोटे प्रोजेक्ट हैं। इसलिए रैंकिग में गिरावट दर्ज की गई है। अधिकारियों द्वारा मनमर्जी करना। प्रोजेक्टों में घोटले भी प्रमुख कारण हैं।
इनका कहना है

एडीए ने अब तक अपने हिस्से से केवल 4 करोड़ दिए है। जबकि नगर निगम ने 10 करोड़ की राशि दी है। एडीए ने चालू वित्तीय वर्ष में अपने बजट में से 50 करोड़ की राशि स्मार्ट सिटी को दिए जाने के लिए प्रस्ताव पारित किया है। जबकि नगर निगम ने वित्त विभाग को पत्र लिखा कि उसे दी जाने वाली ग्रांट राशि को स्मार्ट सिटी को देकर समायोजित कर लिया जाए। यह राशि मिलते ही रैंकिग में सुधार हो जाएगा।
डॉ.खुशाल यादव, अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्मार्ट सिटी के अजमेर

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