साल 2000-01 में अजमेर में परिवहन से पंजीकृत वाहनों की संख्या 2.5 लाख के आसपास थी। अब यह तादाद बढ़कर 14 लाख तक पहुंच गई है। इसमें दोपहिया, तिपहिया, चौपहिया वाहन शामिल हैं।
मदार गेट-स्टेशन रोड : 42 से 45 हजार
आगरा गेट-पृथ्वीराज मार्ग: 28 से 30 हजार
आदर्श नगर-पर्बतपुरा रोड : 35 से 45 हजार
आनासागर लिंक रोड-वैशाली नगर: 25 से 30 हजार
पुष्कर रोड-फायसाग रोड: 25 से 28 हजार
जनाना रोड-लोहागल क्षेत्र :20 से 24 हजार
कचहरी रोड-जयपुर रोड-24 से 32 हजार
( इंजीनियरिंग कॉलेज सिविल विभाग का सर्वेक्षण)
ध्वनि एवं प्रकाश प्रदूषण-60 प्रतिशत वायु में अशुद्धता-59 प्रतिशत(शुद्धता का मानक 45 से 50 प्रतिशत तक) कॉलोनी-रोड बनीं पार्र्किंग स्पेस
शहर की प्रमुख कॉलोनियों और अंदरूनी हिस्सों में 70 प्रतिशत लोग कार-जीप और अन्य वाहनों को घरों की बजाय सड़कों पर खड़े करते हैं। नसीराबाद रोड-आदर्श नगर, वैशाली नगर, जयपुर रोड पर तो पुराने कबाड़ वाहन खड़े देखे जा सकते हैं।
दिल्ली को छोड़कर देश के अन्य शहरों में सड़कों पर दौडऩे वाले वाहनों की ऑनलाइन अथवा ऑफलाइन वार्षिक गणना नहीं होती। इससे पुराने वाहन रूट ऑफ नहीं हो रहे हैं। यद्यपि केंद्र सरकार ने स्क्रैप पॉलिसी जारी की है, लेकिन इसे कामयाबी मिलना आसान नहीं है।
-एमडीएस यूनिवर्सिटी-भूणाबाय-मदार से आदर्श नगर
-नौसर घाटी-कोटड़ा-महाराणा प्रताप नगर से फायसागर रोड
-कचहरी रोड-तोपदड़ा-श्रीनगर रोड रिंग रोड
-चौरसियावास-ईदगाह-पंचशील-लोहागल रोड
-तारागढ़ के निचले हिस्से से दरगाह तक रिंग रोड शहर को चाहिए स्मार्ट ट्रेफिक विकल्प
-इलेक्ट्रिक-बैटरी चलित बस-टैंपो
-बजरंगढ़ से स्टेशन रोड-कचहरी रोड पर भूमिगत मेट्रो
-साधारण और ई-साइकिल, ई-टूव्हीलर-फोर व्हीलर
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की द्वि-वार्षिक रिपोर्ट की मानें तो अजमेर जिले के वन क्षेत्र में 13 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है। इसके अनुसार देश में 2015 में कुल वन क्षेत्र 7.01 लाख वर्ग किलोमीटर था। वहीं यह 2017 में बढ़कर 7.08 वर्ग किलोमीटर हो गया है। रिपोर्ट के अनुसार अजमेर जिले में भी 13 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र बढ़ा है।
अजमेर स्मार्ट सिटी योजना में शामिल है। मदार गेट-स्टेशन रोड, कचहरी रोड-जयपुर रोड वाहनों के दबाव से ओवरलोड हैं। सड़कों की दबाव झेलने की क्षमता कम हो रही है। हमें शहर के अंदरूनी और बाहरी हिस्सों में रिंग रोड बनाने पड़ेंगे। बड़े शहरों की तरह मल्टी स्टोरी पार्र्किंग बहुत जरूरी है।
प्रो.सुब्रतो दत्ता, रिमोट सेंसिंग विभागाध्यक्ष मदस विवि
डॉ. जे.के.डीगवाल, प्राचार्य महिला इंजीनियरिंग कॉलेज