बड़े कुल की रस्म रविवार को हुई। गुलाबजल और केवड़े से दरगाह के विभिन्न स्थानों की धुलाई की गई। जायरीन ने दरगाह की धुलाई कर खुद को खुशनसीब समझा। दरगाह बाजार और शहर के कई इलाकों में उर्स की रौनक बनी रही। दरगाह परिसर सुबह जल्दी ही जायरीन की मौजूदगी से आबाद रहा। स्थिति यह थी लोग जिस तरफ जाने की कोशिश कर रहे थे, उधर अचानक जायरीन का रैला आने से और धक्का-मुक्की के कारण लोगों को दूसरी तरफ रुख करना पड़ा। जैसे तैसे कर लोग मुकाम तक पहुंच पा रहे थे।
छोटा कुल हुआ था 14 को प्रतिवर्ष एक से छह रजब तक उर्स मनाया जाता है। इसके तहत छोटे कुल की रस्म 14 मार्च को हुई थी। इसन दनि सुबह 11 बजे महफिलखाने में कुल की महफिल हुई। शाही चौकी के कव्वालों ने रंग और बधावा पढ़ा। दरगाह दीवान जैनुअल आबेदीन महफिलखाने से आस्ताना में गए। वहां कुल की रस्म हुई। इस दौरान कलंदर नाचते-गाते महफिलखाने पहुंच गए। उन्होंने दीवान की गद्दी पर बैठ कर दागोल की रस्म अदा की और हैरत अंगेज कारनामे दिखाए थे।
खिदमत का समय बदला
उर्स सम्पन्न होने के साथ ही आस्ताना में रोजाना होने वाली खिदमत का समय भी बदल गया है। खिदमत अब रोजाना दोपहर 3 बजे होगी।
उर्स सम्पन्न होने के साथ ही आस्ताना में रोजाना होने वाली खिदमत का समय भी बदल गया है। खिदमत अब रोजाना दोपहर 3 बजे होगी।