माखूपुरा स्थित राजकीय पॉलीटेक्निक कॉलेज में करीब 15 साल पहले एनर्जी पार्क बनाने की योजनान्तर्गत सौर ऊर्जा प्लान्ट लगाए गए थे। इनमें सौर ऊर्जा पैनल प्लेट्स और अन्य उपकरण शामिल किए गए। कॉलेज के पीछे रेलवे लाइन होने और सुरक्षा में लापरवाही के चलते चोर पैनल और प्लेट्स चुराकर ले गए। करीब 13 साल पूर्व
जयपुर जिला पुलिस ने यह उपकरण बरामद भी कर लिए, पर सरकार और कॉलेज ने दोबारा पार्क विकसित करना मुनासिब नहीं समझा। यहां हजारों एकड़ भूमि खाली पड़ी है।
…अब तो आम हुआ सौर पैनल प्रदेश के पॉलीटेक्निक कॉलेज के शिक्षकों और टेक्नोक्रेट्स का पिछले कुछ वर्षों में नजरिया ही बदल चुका है। उनका मानना है, कि अब सौर ऊर्जा पैनल और बिजली उत्पादन के बारे में आम लोग जानने लगे हैं। सरकारी-निजी संस्थाओं, स्कूल-कॉलेज, होटल, रेस्टोरेंट और आम घरों में सौर ऊर्जा के पैनल से विद्युत उत्पादन किया जाने लगा है। अब कॉलेज में सौर ऊर्जा पैनल या मॉडल लगाने की जरूरत नहीं है। वे यह भी मानते हैं कि भावी पीढ़ी तो तेजतर्रार और सुपर टेक्नो फे्रंडली है। मोबाइल, लेपटॉप और कम्प्यूटर पर वे टेक्निकल पार्क या कोई जानकारी लेने में सक्षम है।
योजना ही कागज में दफन आमजन और विद्यार्थियों को विज्ञान, ऊर्जा संरक्षण, सौर और अन्य गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत, यांत्रिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग से रूबरू कराने के लिए राजकीय बॉयज इंजीनियरिंग कॉलेज ने बड़ल्या स्थित परिसर में एनर्जी पार्क बनाने की योजना बनाई। तत्कालीन प्राचार्य डॉ.एस. जी. मोदानी ने वर्ष 2004-05 में इसका प्रस्ताव बनाया। कॉलेज में करीब दो से तीन हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में पवन चक्की, सौर ऊर्जा पैनल, स्वचलित सिग्नल प्रणाली, रोजमर्रा
काम आने वाली मशीन लगाया जाना तय हुआ। दस वर्षों में तीन स्थायी प्राचार्य आए-गए, लेकिन एनर्जी पार्क कागजों में ही कैद है।
अजमेर में नहीं है एनर्जी पार्क अजमेर की बरसों से शैक्षिक नगरी के रूप में पहचान रही है। इसके बावजूद देश के अन्य शहरों में एनर्जी पार्क, मेट्रो ट्रेन, फ्लाई ओवर या विशिष्ट शैक्षिक संस्थानों की स्थापना में यह काफी पीछे है। पिछले 20 साल में शहर का विस्तार तो हुआ, लेकिन युवा पीढ़ी या पर्यटन के विकास की दृष्टि से कोई एनर्जी पार्क नहीं बनाया गया। अजमेर विकास प्राधिकरण ने करीब दो वर्ष पूर्व पंचशील-लोहागल क्षेत्र में वृहद एनर्जी पार्क बनाने के लिए भूमि चिह्नित की, लेकिन कामकाज शुरू नहीं हो पाया है। एनर्जी पार्क बनने पर स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों, आम लोगों को ऊर्जा और आधुनिक तकनीकी से जुड़ी कई जानकारी मिल सकती हैं।
फिर क्यों जाते दूसरे शहरों में!
टेक्नोक्रेट्स और शिक्षक अजमेर में एनर्जी पार्क को जरूरी नहीं मानते। इसके बावजूद वे शैक्षिक कार्यक्रमों, संगोष्ठियों, नवाचार से जुड़ी कार्यशाला में दूसरे शहरों में जाते हैं। उन्हें संबंधित शहरों में एनर्जी पार्क दिखाए जाते हैं। इसके बावजूद अजमेर में युवाओं और आमजन के लिए उन्हें ऐसे किसी पार्क की जरूरत महसूस नहीं होती।
यह होता है एनर्जी पार्क में
-भोजन पकाने का सौर ऊर्जा चलित चूल्हा
-गाय-भैंस के गोबर पर आधारित गैस प्लान्ट
-सौर ऊर्जा से चलने वाली लाइट्स और रेडियो
-ईको फ्रेंडली स्वचलित मशीन एवं-पवन चक्की
– स्वचलित सिग्नल प्रणाली-बायो/ ग्रीन एनर्जी
-ऊर्जा के अन्य विकल्पों की जानकारी
ये हैं कुछ खास एनर्जी पार्क
-सावित्री बाई फुले विद्यापीठ पुणे
-गांधी विचार परिषद वर्धा
-आनंद एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी
-विश्वेश्वरैया टेक्निकल यूनिवर्सिटी मुदैनहाली