script5 रुपए महंगी बिजली खरीदने से कंपनियों को 9000 करोड़ का घाटा | Losses of Rs 9000 crore by buying five rupees expensive electricity | Patrika News

5 रुपए महंगी बिजली खरीदने से कंपनियों को 9000 करोड़ का घाटा

locationजबलपुरPublished: Jan 15, 2018 01:24:27 am

Submitted by:

santosh singh

पावर मैनेजमेंट कंपनी ने गुजरात की कंपनी से खरीदी, नियामक आयोग ने ली आपत्ति

Losses of Rs 9000 crore by buying five rupees expensive electricity

Losses of Rs 9000 crore by buying five rupees expensive electricity

संतोष सिंह
जबलपुर. प्रदेश में सरप्लस बिजली होने के बावजूद पावर मैनेजमेंट कम्पनी ने गुजरात की कम्पनी से ९.५६ रुपए प्रति यूनिट की दर से तब बिजली खरीदी, जब ओपन मार्केट में इसकी दर ४-५ रुपए/यूनिट थी। इसका खुलासा तब हुआ जब नियामक आयोग ने पिछले महीने मंजूरी के लिए पहुंची ट्र-अप याचिका पर सख्त आपत्ति दर्ज करायी। इसके चलते तीनों वितरण कम्पनियों को 9000 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। इसकी भरपाई के लिए तीनों वितरण कम्पनियों ने अतिरिक्त टैक्स लगाकर उपभोक्ताओं से वसूली की। पावर मैनेजमेंट कम्पनी ने २०१३-१४ में रबी सीजन में डिमांड बढऩे के दौरान गुजरात की सूजान टोरेंट पावर से ९.५६ रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी थी। पावर मैनेजमेंट कम्पनी पर आरोप है कि उसने जानबूझकर गुजरात की इस कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए बिजली खरीदी।

नियामक आयोग ने सुनवाई में ली आपत्ति
तीनों कंपनियों की तरफ से पावर मैनेजमेंट कंपनी ने नियामक आयोग के सामने ट्रू-अप याचिका पिछले महीने पेश किया था। जिस पर नियामक आयोग ने आपत्ति ली है। तर्क दिया है कि जब हमारे पास सरप्लस बिजली थी और ओपन मार्केट में भी सस्ते दर पर बिजली उपलब्ध थी, तो एक कम्पनी को फायदा पहुंचाने के लिए इतनी मंहगी बिजली क्यूं खरीदी गई। पावर मैनेजमेंट को अगले महीने जवाब प्रस्तुत करना है।
सूजान टोरेंट से अनुबंध के अनुसार बिजली खरीदी थी। रबी सीजन में बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए अनुबंध की शर्तों के अनुसार ही बिजली खरीदी हुई थी।
आईसीपी केशरी, प्रमुख सचिव, ऊर्जा विभाग

आयोग में आज पेश होगी टैरिफ याचिका
बिजली उपभोक्ताओं को नए वित्तीय वर्ष में चार प्रतिशत की चपत लग सकती है। विद्युत वितरण कम्पनियों की तरफ से पावर मैनेजमेंट कम्पनी द्वारा सोमवार को नियामक आयोग में वित्तीय वर्ष २०१८-१९ के लिए टैरिफ याचिका पेश की जाएगी। इसमें चार प्रतिशत की बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव है। याचिका में वित्तीय वर्ष २०१८-१९ के लिए ३४ हजार करोड़ रुपए की जरूरत बताई है। जबकि तीनों वितरण कम्पनियों ने ३२ हजार ७०० करोड़ रुपए की आमदनी का अनुमान लगाया है। १३०० करोड़ रुपए की भरपाई के लिए उक्त प्रस्ताव रखा है। पावर मैनेजमेंट कम्पनी के सीजीएम राजस्व फिरोज कुमार मेश्राम के मुतबिक नियामक आयोग सुनवाई की तारीख तय करेगा।
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