मसालों में साबुत मिर्च पर रंग चढ़ाया जा रहा है। दुग्ध निर्मित उत्पादों में सेपरेटा तो देशी घी में पॉमोलिन तेल एवं वनस्पति घी की मिलावट सामने आई है। खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्रयोगशाला में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की ओर से जांच के लिए भेजे गए सेम्पल के परीक्षण एवं जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। साबुत मसालों में खासकर मिर्च एवं धनिया पर भी रंग की पॉलिश की जा रही है।
साबुत लाल मिर्च आकर्षक दिखे इसलिए उस पर लाल रंग चढ़ाया गया है। साबुत मसालों में 75 प्रतिशत नमूने फेल एवं मिस ब्रांड पाए गए हैं। यह नमूने अजमेर , भीलवाड़ा एवं टोंक जिलों से खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की ओर से जांच के लिए भेजे गए हैं।
दुग्ध निर्मित उत्पाद 56 प्रतिशत फेल प्रयोगशाला में दूध सहित दूध से निर्मित उत्पाद में बटर, पनीर, आइस्क्रीम, दही व अन्य उत्पाद के 56 प्रतिशत नमूने फेल पाए गए हैं। सेपरेटा निर्मित उत्पाद के साथ निर्धारित फेट कम पाई गई हैं। वहीं देशी घी में भी 32.78 प्रतिशत नमूने फेल हुए हैं।
वनस्पति घी के नमूने 100 फीसदी फेल वनस्पति घी एवं एडिबल फेट्स के अब तक 3 नमूने जांच के लिए भेजे गए तीनों नमूने सब स्टैंडर्ड के पाए गए हैं।
नमकीन में टेट्राजीन नहीं मान्य
नमकीन में टेट्राजीन नहीं मान्य
नमकीन, बिस्किट सहित अन्य उत्पाद में भी मिलावट उजागर हुई है। नमकीन में टेट्राजीन मिलाया जा रहा है जो इसमें मान्य नहीं है। सेपरेटा निर्मित दूध एवं निर्धारित फेट से कम दूध के नमूने मिस ब्रांड व मिलावटी पाए गए हैं। देघी घी, साबुत लाल मिर्च, नमकीन, वनस्पति घी सहित कई उत्पादों के नमूने फेल एवं मिस ब्रांड पाए गए हैं। अजमेर, भीलवाड़ा एवं टोंक जिले से खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की ओर से भेजे गए सेम्पल में खुलासा हुआ है।
-करण सिंह, खाद्य अन्वेषक (एनालिस्ट) अजमेर