बबीता मीनाक्षी और दीपा की सीनियर थी। तीनों साथ क्रिकेट खेलती थी। खेलते-खेलते दोस्ती गहरी हो गई। समय के साथ और प्रगाढ़ हो गई। एक बार कॉलेज के समय बबीता को कप्तान को लेकर संशय हुआ। तो दोनों सहेलियों ने उसे कप्तान बनाने के लिए जी जान लगा लगा दी।
देती हैं एक-दूसरे का साथ
बबीता ने बताया कि जैसे लड़के अपने दोस्तों की मदद के लिए हर समय खड़ी रहती हंै वैसे वे भी हर परिस्थितियों में एक-दूसरे का साथ निभाती हैं। कुछ माह पहले बबीता की मम्मी की तबियत खराब हुई तो दोनों रोज अस्पताल आती। काफी देर तक रहती। वहीं मीनाक्षी के पिताजी की तबियत खराब हुई तो उस दौरान उसकी सहेलियों ने पूरा साथ दिया। मीनाक्षी जब बाहर नौकरी करती थी तो दीपा को कई काम बताती थी, वह उन्हें पूरा भी करती थी।
बबीता ने बताया कि जैसे लड़के अपने दोस्तों की मदद के लिए हर समय खड़ी रहती हंै वैसे वे भी हर परिस्थितियों में एक-दूसरे का साथ निभाती हैं। कुछ माह पहले बबीता की मम्मी की तबियत खराब हुई तो दोनों रोज अस्पताल आती। काफी देर तक रहती। वहीं मीनाक्षी के पिताजी की तबियत खराब हुई तो उस दौरान उसकी सहेलियों ने पूरा साथ दिया। मीनाक्षी जब बाहर नौकरी करती थी तो दीपा को कई काम बताती थी, वह उन्हें पूरा भी करती थी।
लड़कों को भी दे चुकी हैं मात
मीनाक्षी ने बताया कि एक बार महिला क्रिकेट टीम के कोच प्रेम सिंह ने लड़कियों की टीम को लड़कों की टीम से भिड़ा दिया। दोनों टीमों के बीच फ्रेंडली मैच हुआ। तीनों सहेलियां भी उस मैच में खेली। उस मैच में लड़कियों ने बाजी मार ली।
मीनाक्षी ने बताया कि एक बार महिला क्रिकेट टीम के कोच प्रेम सिंह ने लड़कियों की टीम को लड़कों की टीम से भिड़ा दिया। दोनों टीमों के बीच फ्रेंडली मैच हुआ। तीनों सहेलियां भी उस मैच में खेली। उस मैच में लड़कियों ने बाजी मार ली।
बॉयज सेक्शन से खरीदारी मीनाक्षी ने बताया कि जैसे कपड़े हमें पसंद होते वैसे गल्र्स सैगमेन्ट में मिलते नहीं हैं। इसलिए खरीदारी बॉयज सेक्शन से ही होती है। आम तौर पर तीनों साथ ही खरीदारी करने जाती हैं।
लड़कों की लाइन में लगो महिलाओं की लाइन में लगने के दौरान कई बार महिलाएं यह भी कह देती हंै कि लड़कों की लाइन में लगो। बबीता ने बताया कि जब मैं भीलवाड़ा में जॉब करती थी, तब कई बार टिकट लेने के दौरान ऐसा हुआ। वहीं स्कूल में कई बार छोटे बच्चे सर भी कह देते हैं।