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ये रहेंगे जंगलों में पेड़ों के बीच छुपकर, यूं रखेंगे खास मेहमानों पर नजर

locationअजमेरPublished: Mar 14, 2018 04:32:09 pm

Submitted by:

raktim tiwari

विभाग वन्य जीव गणना में पैंथर की संख्या लगातार कम हो रही है।

annual census of forest dept

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रक्तिम तिवारी/अजमेर।

वन विभाग सालाना वन्य जीव गणना की तैयारियां जल्द शुरू करेगा। अप्रेल या मई में पूर्णिमा की रात्रि में वन क्षेत्रों में गणना की जाएगी। इसके लिए वनकर्मियों की ड्यूटी लगाई जाएगी।
वन विभाग प्रतिवर्ष अजमेर , किशनगढ़, टॉडगढ़, जवाजा ब्यावर, शोकलिया, पुष्कर और अन्य क्षेत्रों में वन्य जीव की गणना करता है। इनमें पैंथर, सियार, लोमड़ी, साही, हिरण, खरगोश, अजगर, बारासिंगा और अन्य वन्य जीव शामिल होते हैं। वन्य जीव की गणना के लिए वनकर्मी विभिन्न क्षेत्रों में मचान बांधकर वन्य जीव की गतिविधियों पर नजर रखते हैं। इस साल भी वन्य जीव की सालाना गणना होगी।
पैंथर पर रहेंगी खास निगाहें
वन कर्मियों की पैंथर पर खास निगाहें रहेंगी। बीते चार-पांच महीने में ब्यावर-जवाजा क्षेत्र सहित कल्याणीपुरा गांव के निकट पैंथर देखे गए हैं। वही वन विभाग को बीते चार-पांच साल में गणना के दौरान पैंथर नहीं दिखे हैं। पिछले साल तारागढ़ हैप्पी वैली क्षेत्र में पैंथर दिख चुका है। मालूम हो कि विभाग वन्य जीव गणना में पैंथर की संख्या लगातार कम हो रही है।
जिले में दिखते हैं ये प्राणी

अधिकृत सूत्रों के मुताबिक जिले में पैंथर, बघेरे, लोमड़ी, सियार, हिरण कम हो रहे हैं। इसके विपरीत प्रतिवर्ष गणना में खरगोश, जल मुर्गी, बुलबुल, बतख, नीलकंठ, बिज्जू, नेवले, साही, मोर, नीलगाय और अन्य वन्य जीव ही ज्यादा दिखाई देते हैं। इसी तरह अजमेर मंडल में 10-15 साल में सियार की संख्या भी घट रही है। मंडल में कभी 200 सियार थे। अब इनकी संख्या घटकर 25-40 तक रह गई है।
गोडावण हुए नदारद

जिले के शोकलिया वन्य क्षेत्र से गोडावण नदारद हो चुके हैं। पिछले कई साल से वन विभाग को यहां गोडावण नहीं मिले हैं। 2001 की गणना में यहां 33 गोडावण थे। 2002 में 52, 2004 में 32 गोडावण मिले। इसके बाद यह सिलसिला घटता चला गया। पिछले पांच साल में यहां एक भी गोडावण नहीं मिले हैं। वन्य जीव अधिनियम 1972 की धारा 37के तहत शोकालिया वन क्षेत्र शिकार निषिद्ध क्षेत्र घोषित है।
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