कस्बे के मुख्य बाजारों की हालत देखे तो बाजार दिनोंदिन सिकुड़ते जा रहे हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण दुकानदारों द्वारा किया जाने वाला स्थाई-अस्थाई अतिक्रमण है। देखने को मिलता है कि सभी व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों के आगे बेंच लगा लेते हैं, जिस पर दिन भर खुद व्यापारी और उनके ग्राहक बैठते हैं। उसके अलावा बेंच के आगे व्यापारी अपनी दुकान का सामान सडक़ पर ही रख लेते हैं। अब बची हुई सडक़ पर व्यापारियों के यहां आने वाले ग्राहकों की बेतरतीब खड़ी हुई गाडिय़ा। रही सही रास्ते को घेरने का काम करती हैं, ऐसे में जाम से निजात मिल जाए, यह बिल्कुल भी संभव नहीं है।
दुकानों के आगे हाथ ठेले लगाने का लेते हैं किराया
विगत चार-पांच वर्षो से सभी मुख्य सीताराम बाजार सहित अन्य बाजारों के दुकानदारों द्वारा एक अलग ही व्यापार शुरू कर दिया गया है। जिसके अंतर्गत वे अपने प्रतिष्ठानों के आगे यदि कोई हाथ ठेले वाला अपना ठेला लगाना चाहता है तो उससे जगह के मुताबिक प्रति माह 5 से 15 हजार रुपए तक किराया वसूलते हैं, जबकि यह हाथ ठेले वाले आम रास्ते पर अतिक्रमण कर खड़े रहते हैं, लेकिन प्रशासन को जानकारी होने के बावजूद आज तक ना तो ऐसे दुकान मालिक एवं घर मालिकों के विरुद्ध कोई कार्यवाही की गई है और ना ही हाथ ठेला को लगाने के लिए कोई स्थान ही चिन्हित किया गया है। ऐसे में इसका खामियाजा आम नागरिक को भुगतना पड़ता है, जो नगर पालिका को अच्छी सडक़, अच्छी सफाई आदि सभी के लिए ईमानदारी से टैक्स देता है।
क्या कहते हैं सफाई निरीक्षक नगरपालिका के सफाई निरीक्षक सीताराम शर्मा का कहना है कि समय-समय पर नगर पालिका द्वारा दुकानों के आगे रखी ढकेल व बेंच रखने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर जुर्माना वसूला जाता है। बावजूद दुकानदार अपनी दुकानों के आगे पटिया एवं ब्रेंच रख देते हैं, जिससे बाजार सिकुड़ता जा रहा है।