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एप’ से लगेगी विद्युत पोल सप्लाई में फर्जीवाड़े पर लगाम

locationअजमेरPublished: May 03, 2022 09:12:21 pm

Submitted by:

bhupendra singh

एप के जरिए ही होगी पोल की डिलीवरी-अब हर स्तर पर होगी प्रभावी मॉनिटरिंग
– अजमेर डिस्कॉम ने राज्य में की पहल

Electricity pole

ajmer discom

भूपेन्द्र सिंह
अजमेर. अजमेर डिस्कॉम ने अपने अधीन आने वाले जिलों में विद्वुत पोल की सप्लाई में हो रहे फर्जीवाडे पर अब ऑन लाइन तकनीक के जरिए लगाम लगाई है। अजमेर डिस्कॉम ने राज्य में पहल करते हुए एंटरप्राइज रिसोर्स प्लानिंग (ईआरपी) तकनीक के जरिए जीपीएस मैप कैमरा एप विकसित किया है। अब इस एप के जरिए ही पोल की डिलीवरी लेने व देनी होगी। इससे सप्लायर कम्पनी से वास्तविक डिलीवरी हो सकेगी तथा पोल का अलॉटमेट भी पारदर्शी तरीके से हो सकेगा। निर्देशों के तहत फोटो नहीं लगाने पर एईएन के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। पोल सप्लायर कम्पनी को भुगतान भी रोका जाएगा।
कइ् जगह कागजों में दी जा रही थी डिलीवरी
अजमेर डिस्कॉम प्रबन्धन को यह शिकायत मिली थी कि डिस्कॉम के कई सहायक अभियंता पीसीसी पोल की डिलीवरी के लिए चालान के उचित सत्यापन की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। कागजों में ही लाखों रुपए के पोल की डिलीवरी ली और दी जा रही है। इससे लाखों का नुकसान हो रहा है। पोल सप्लाई फर्जीवाडो को अजमेर डिस्काम प्रबन्ध ने मामले को गंभीरता से लिया।
इस तरह होगा काम
सहायक अभियंता पोल की डिलीवरी लेते समय “जीपीएस मैप कैमरा ऐप” के माध्यम से साइट फोटोग्राफ खींच कर अपलोड करने होंगे। इसमें तारीख,समय, स्थान और भौगोलिक निर्देशांक डिफ़ॉल्ट रूप से ट्रक में लोड किए गए पोल वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर और पोल की संख्या दिखानी होगी। पोल उतारने के बाद भी फोटो खींचनी होगी जिसमें पोल की संख्या दिखानी होगी। इससे पता चलेगा किस फर्म ने कितने पोल कब और कहां दिए। इसके बाद पोल किसे अलॉट किए गए।
ऐसे हो रहा था फर्जीवाड़ा
बिजली कम्पनियाें की ओर से खरीदे जाने वाले पोल की लैब टेस्टिंग नहीं होती है। इसके चलते यह पता लगाना मुश्किल होता है कि सप्लायर कम्पनी ने कितने ट्रक व कितना माल कहां भेजा। कई बार पोल की सप्लाइ् व डिलीवरी कागजों में ही हो जाती है तो कई बार आधे माल को ही पूरा बता दिया जाता है। पोल की सप्लाई आते ही इसे जेईएन को अलॉट किया गया बता दिया जाता है। इसके बाद इनका कोई रिकॉड नहीं रखा जाता।
डिस्कॉम के पोल लग जाते थे दूसरी जगह
कई बार डिस्कॉम को सप्लाई किए गए पोल कर्मचारियोें व ठेकेदारों की मिलीभगत के चलते नगर पालिका, नगर निगम व अन्य के सरकारी कार्यो तथा निजी कार्यो में लगे हुए पाए जाते थे। ऐसे मेें उपभोक्ता के काम के लिए डिस्कॉम के पास पोल ही उपलब्ध नहीं होते थे। अब फर्जीवाड़े पर लगामे के साथ ही आमजन के विद्वुत सम्बन्धी काम के लिए पोल भी उपलब्ध होगें।
विरोध दरकिनार
पोल की सप्लाई देने वाली कई ठेकेदार फर्मा ने डिस्कॉम प्रबन्ध के सामने नई व्यवस्था को लेकर विरोध भी जताया लेकिन यह काम नहीं आया। डिस्कॉम प्रबन्धन ने स्पष्ट किया कि नियम नहीं बदले जाएंगे। किसी का पेमेंट भी नहीं रोका जाएगा।
मुख्यालय से रखी जा रही है नजर
डिस्कॉम मुख्यालय से ही ऑन लाइन सिस्टम के जरिए डिस्कॉम के जिला स्टोर, सहायक अभियंता तथा कनिष्ठ अभियंता स्टोर की ऑन लाइन मॉनीटरिंग की जा रही है। यह जानकारी ली जा रही है स्टोर में कितना सामान आया कितना दिया, कहां लगा और कितना और क्या बचा है। ऑन लाइन डिमांड के बाद ही सामान का आवंटन किया जा रहा है। इससे मनमर्जी से सामान लेने और उपलब्धता के बावजूद कमी का बहाना का आम आदमी का काम रोकने वाले अभियंता चिन्हित किए जा रहे हैं।
अजमेर डिस्कॉम राज्य में पहले नम्बर पर
अजमेर डिस्कॉम राज्य में स्टोर से ऑन लाइन सिस्टम के जरिए सामान आवंटन की व्यवस्था लागू करने वाला पहला डिस्कॉम बन गया है। जोधपुर तथा जयपुर के लिए भी ऑन लाइन सिस्टम तैयार किया गया है लेकिन यह अभी तक वहां लागू नहीं हो सका है।
इनका कहना है
कितने पोल खरीदे गए, कितने आए और कहां लगे यह अब तक पता नहीं चल पा रहा था। अब एप के जरिए ही पोल की डिलीवरी ली और दी जाएगी। इससे पारदर्शिता आएगी और उपभोक्ताओं के काम के लिए पोल उपलब्ध रहेंगे। निर्देश नहीं मानने वाले अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
एन.एस.निर्वाण, प्रबन्ध निदेशक,अजमेर डिस्काॅम

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