सालों पहले चालान पेशअदालत में वर्ष 2004 में चालान पेश होने के बाद आरोेप तय किए जाने के स्तर पर बचाव पक्ष की ओर से अर्जियां दायर की जाती रहीं। इनके निस्तारण होने में खासा वक्त लगा। अभियोजन पक्ष के विरोध के बाद इन अर्जियों को अदालत ने खारिज कर दिया।
तारीख पे तारीख 3 नवंबर 2004 – चालान पेश 19 जनवरी 2009 – प्रसंज्ञान लिया 2 नवंबर 2015 – बचाव पक्ष ने प्रार्थना पत्र लगाया 17 फरवरी 2017 – प्रार्थना पत्र खारिज
30 मार्च 2017 – बचाव पक्ष की ओर से गवाह प्रस्तुत करने की अर्जी् 25 मई 2017 – खारिज 4 सितम्बर 2017 – फिर गवाह प्रस्तुत करने की अर्जी 16 सितंबर 2017 -अर्जी खारिज
19 फरवरी 2018 – बचाव पक्ष की अर्जी दायर 21 मार्च 2018 – प्रार्थना पत्र 2000 रुपए के हर्जे खर्चे पर खारिज, जो विधिक सेवा कोष में जमा कराए। 7 अप्रेल 2018 को आरोप तय करने के आदेश के खिलाफ सेशन कोर्ट में रिवीजन खारिज
अभियोजन पक्ष की साक्ष्य शुरू 13 जनवरी 2021 – अभियोजन पक्ष की ओर से गवाह तलब करने की कार्यवाही। 21 सितम्बर 2021 -पहले गवाह परिवादी आलोक त्रिपाठी। (तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अजमेर) 23 सितंबर 2022 – अंतिम गवाह उषा शर्मा मुख्य सचिव राजस्थान( तत्कालीन कलक्टर अजमेर।)
21 अक्टूबर 2022 – बचाव पक्ष ने गवाह बुलाने की प्रक्रिया शुरू की4 नवम्बर 2022 – अदालत ने बचाव पक्ष की अर्जी खारिज की। 9 नवम्बर 2022 – बचाव पक्ष की अर्जी दायर।
24 नवम्बर 2022 – सरकारी वकील को अर्जी की प्रति दी।