वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में पाकिस्तान ने अपना एक हिस्सा गंवाया। इसके साथ ही एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ। इस लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान के हजारों सैनिकों को बंधक बना लिया था। उसके सैकड़ों टैंक भी भारत के कब्जे में आ गए थे। बाद में यह टैंक रक्षा कोष में सर्वाधिक राशि जमा कराने वाले शहरों को दिए गए।
अजमेर को दिया गया टैंक
इस दौरान अजमेर के लोगों की ओर से भी करीब 1 लाख रुपए जमा कराए गए। इसके चलते अजमेर को भी एक टैंक दिया गया। टैंक के अजमेर पहुंचने पर उस समय जनता ने देश की विजय के इस प्रतीक का जोरदार स्वागत किया। इस टैंक को बजरंग गढ़ के नीचे स्थापित किया गया। ताकि शहरवासी आराम से देश की जीत के प्रतीक को देख सके। पहले यह टैंक सामान्य रूप से खड़ा था।
इस दौरान अजमेर के लोगों की ओर से भी करीब 1 लाख रुपए जमा कराए गए। इसके चलते अजमेर को भी एक टैंक दिया गया। टैंक के अजमेर पहुंचने पर उस समय जनता ने देश की विजय के इस प्रतीक का जोरदार स्वागत किया। इस टैंक को बजरंग गढ़ के नीचे स्थापित किया गया। ताकि शहरवासी आराम से देश की जीत के प्रतीक को देख सके। पहले यह टैंक सामान्य रूप से खड़ा था।
यूं बनाया स्टैंड
बाद में 2008 में नगर सुधार न्यास ने टैंक को खड़ा करने के लिए निर्माण प्रारंभ किया। 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया। यह टैंक अब देश के प्रति अपनी भावनाएं प्रकट करने और फोटो खिचवाने के लिए एक खास पॉइन्ट बन गया है। राष्ट्रीय त्योहारों पर यहां कभी लोग जुटते है। सेनाओं की बहादुरी का सजदा करते है।
बाद में 2008 में नगर सुधार न्यास ने टैंक को खड़ा करने के लिए निर्माण प्रारंभ किया। 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इसका उद्घाटन किया। यह टैंक अब देश के प्रति अपनी भावनाएं प्रकट करने और फोटो खिचवाने के लिए एक खास पॉइन्ट बन गया है। राष्ट्रीय त्योहारों पर यहां कभी लोग जुटते है। सेनाओं की बहादुरी का सजदा करते है।