script# Atal bihari vajpayee: जीसीए में किया था काव्य पाठ, विश्वविद्यालय में बांटे थे होनहारों को पदक | Atal bihari vajpayee in ajmer, several golden memories with city | Patrika News

# Atal bihari vajpayee: जीसीए में किया था काव्य पाठ, विश्वविद्यालय में बांटे थे होनहारों को पदक

locationअजमेरPublished: Aug 16, 2018 06:03:31 pm

Submitted by:

raktim tiwari

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atalji in ajmer

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अजमेर.

राजनीति के शिखर पुरुष एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का अजमेर कई बार आना-जाना हुआ। उनकी कई यादें पुरानी पीढ़ी और नौजवानों के स्मृति में कैद हैं। अटलजी ने अजमेर में चिरपरिचत शैली में कविताएं सुनाने और भाषण देने के अलावा होनहारों को पदक भी बांटे थे। कई लोगों को उनका हंसी-मजाक, हाजिर जवाबी के किस्से अब तक याद हैं।
70 के दशक में अटल बिहारी वाजपेयी अजमेर आए थे। उन्होंने सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (तब जीसीए) में काव्य गोष्ठी में भाग लिया था। उनके साथ हिंदी के नामचीन कवि, लेखक और साहित्यकार डॉ. हरिवंश राय बच्चन भी इसमें शामिल हुए। कॉलेज के साइंस ब्लॉक में आयोजित इस गोष्ठी में वाजपेयी ने काव्य पाठ किया तो विद्यार्थी, शिक्षक और लोग उन्हें मंत्रमुग्ध होकर सुनते रह गए।
हिंदी में पाठ्यक्रम निर्माण विशेषता…

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी 19 मार्च 1997 को महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय के प्रथम दीक्षान्त समारोह में मुख्य अतिथि के बतौर आए थे। उन्होंने विश्वविद्यालय में अपनी लेखनी से पत्र भी लिखा था। वाजपेयी ने कहा था कि पुष्कर में सृष्टिकर्ता ब्रह्मा का मंदिर और सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह, ऋषि दयानंद की निर्वाण स्थली है।
अजमेर अरावली पर्वतमााला में स्थित एक ऐतिहासिक नगरी है। जिसमें धर्म और संस्कृति का अनूठा संगम है। सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कर्मभू्मि रही है। विश्वविद्यालय ने दस वर्ष में काफी प्रगति की है। विभिन्न भवनों का निर्माण हुआ है। हिंदी में पाठ्यक्रमों का निर्माण इस विश्वविद्यालय की विशेषता है। पढ़ाई के सत्र समय और परीक्षाएं कार्यक्रम अनुसार होती हैं। इसमें अनुचित तरीके नहीं अपनाए जाते यह प्रसन्नता का विषय है।
भैरोसिंह जी आप भी देखें विश्वविद्यालय….
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने प्रथम दीक्षान्त समारोह में मुख्य अतिथि के बतौर आए थे। उन्होंने होनहारों को स्वर्ण पदक और डिग्रियां बांटी थी। तत्कालीन कुलपति डॉ. पी. एल. चतुर्वेदी ने बताया कि वाजपेयी की वाकपटुता और भाषण शैली अद्भुत थी। उन्होंने विश्वविद्यालय के भवन देखने के बाद जयपुर में तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत से काफी तारीफ की। उन्होंने शेखावत को एक बार मदस विश्वविद्यालय परिसर देखने की बात कही थी।
नहीं याद रहा टॉयलेट बनाना
यूं तो प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और सीएम के दौरे में प्रोटोकॉल का खास ध्यान रखा जाता है। लेकिन वाजपेयी के विश्वविद्यालय आगमन पर एक बड़ी चूक हो गई। दीक्षान्त समारोह के लिए बने पांडाल के निकट शासन-प्रशासन अस्थाई टॉयलेट बनाना भूल गया। समारोह के तत्काल बाद वाजपेयी ने टॉयलेट जाना चाहा तो एसपीजी और तत्कालीन पुलिस अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए। बाद में उन्हें तत्काल एक भवन में जाकर निवृत्त होना पड़ा था।
दस दिन रहे श्रीमाली के साथ….
दिवंगत कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली के साथ भी वाजपेयी की यादें जुड़ी थी। श्रीमाली उदयपुर के राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख कार्यकर्ताओं में शामिल थे। १९९६ में १३ दिन सरकार चलाने के बाद वाजपेयी ने इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद वे दस दिन तक उदयपुर में रहे। वाजपेयी ने उदयपुर के पूर्व सांसद भानुकुमार शास्त्री से पूर्ण एकांत में रहने, किसी से मुलाकात नहीं करने और एक जिम्मेदार व्यक्ति को ही भोजन पहुंचाने की खास हिदायत दी थी। तब शास्त्री ने प्रो. श्रीमाली को भोजन पहुंचाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। श्रीमाली ने जीवित रहते पत्रिका को यह वाकिया सुनाया भी था।
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