प्रार्थी ने राज्य आयोग में अपील की तो राज्य आयोग ने 31अगस्त 2016 को प्रकरण जिला मंच अजमेर को रिमांड कर दिया और निर्देश दिया कि वह गार्ड एसीसीटीवी फुटेज (Cctv footage) और कैश टेली रिपोर्ट का अवलोकन कर उचित निष्कर्ष निकाले। आदेश के बाद मंच में बैंक ने सीसीटीवी फुटेज पेश की वो करेप्ट थी तथा उसमें कैश कलेक्ट करते हुए की कोई फ़ोटो नही थी। इसके अलावा गार्ड और केश टेली रिपोर्ट (Guard and Hair Tele Report) पर भी मंच ने विचार किए बिना पुन: परिवाद खारिज कर दिया।
राज्य आयोग ने अपील स्वीकार कर मंच का निर्णय निरस्त कर दिया और प्रकरण पुन: जिला मंच को रिमांड कर दिया। आयोग ने 24 अप्रेल 1820 को अपील में पारित अपने निर्णय में लिखा कि यह दुखद स्थिति है कि गार्ड और सीसीटीवी के संबंध में राज्य आयोग के निर्देशों के बावजूद जिला मंच द्वारा विवेचन नहीं किया गया।
परिवादी ने फिर राज्य आयोग (State commission) में जिला मंच के निर्णय के विरुद्ध अपील कर दी। राज्य आयोग ने अपने निर्णय में बैंक के विरुद्ध गंभीर टिप्पणी की। आयोग ने लिखा कि बैंक ने जानबूझकर मंच के समक्ष सही तथ्यों और रिकॉर्ड को बार बार निर्देशो के बावजूद पेश नही किया। बैंक का दायित्व था कि वह प्रकरण की जांच कर उपभोक्ता को संतुष्ट करता, लेकिन बैंक ने ऐसा नहीं किया। आयोग ने लिखा कि प्रार्थी वर्ष 2013 से कानूनी विवाद में उलझा हुआ है और बैंक की हठधर्मिता के कारण प्रार्थी को बार बार अपीलों में आना पड़ा जो बैंक की लापरवाही और सेवा दोष है इसलिए प्रार्थी को विवादित राशि के अलावा 50 हजार रुपए बतौर क्षतिपूर्ति दिलाना उचित प्रतीत होता है।