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जाने वाले को कौन करता है याद, यहां किसी को आती नहीं शर्म…

locationअजमेरPublished: May 16, 2019 09:58:55 am

Submitted by:

raktim tiwari

कम्प्यूटर, पुस्तकों और शिक्षकों की कमी, खेल मैदान और अन्य संसाधन जैसे कारण सामने आए थे।

college affiliation camp

satna – 12 thousand students passed 12th, only 10 thousand seats in co

अजमेर. दो वर्षीय बीएड और चार वर्षीय बीए और बीएससी बीएड, बीपीएड पाठ्यक्रम चलाने वाले कॉलेज के लिए लगने वाले शिविर पर तलवार लटक गई है। महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय ने तत्कालीन कुलपति के निधन के बाद उनके प्रोजेक्ट को भुला दिया है।
बीएड, बीपीएड और अन्य कॉलेज के दस्तावेजों की जांच कर त्वरित सम्बद्धता देने के लिए तत्कालीन कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली के निर्देश पर पिछले साल 4 से 6 जुलाई तक शिविर आयोजित किए गए थे। द्वितीय चरण में 8 और 9 अगस्त को शिविर लगाए जाने थे। इस दौरान कुलपति प्रो. श्रीमाली का निधन हो गया। इसके बाद विश्वविद्यालय में परिस्थितियां एकाएक बदल गई।
मच गई थी संचालकों में खलबली
पूर्व कुलपति प्रो. श्रीमाली ने सत्र 2018-19 में बीए/बीएससी बीएड और दो वर्षीय बीएड पाठ्यक्रम संचालित करने वाले कॉलेज को अस्थाई सम्बद्धता में वृद्धि, नवीन सम्बद्धता देने के लिए शिविर लगाया था। इससे कॉलेज संचालकों में खलबली मच गई थी। संचालकों ने केंद्र और राज्य सरकार के मंत्रियों और अन्य रसूखात काम में लिए। लेकिन कुलपति ने नेताओं को भी साफ इन्कार कर दिया था। अधिकांश कॉलेज के दस्तावेजों में कई तरह की कमियां निकली। इनमें कम्प्यूटर, पुस्तकों और शिक्षकों की कमी, खेल मैदान और अन्य संसाधन जैसे कारण सामने आए थे।
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