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अधूरी रह बांग्लादेशी जायरीन की ये हसरत, अजमेर की दरगाह पहुंचने से पहले हुई मौत

locationअजमेरPublished: Mar 18, 2018 07:53:23 am

Submitted by:

raktim tiwari

संभवत: रास्ते में संभवत: दिल का दौरा पडऩे से उसकी मौत हो गई।

dargah pilgrims

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सियालदाह पश्चिम बंगाल से रेलगाड़ी के जरिए अजमेर आ रहे एक वृद्ध की दौराने यात्रा मृत्यु हो गई। उसकी मौत का पता ट्रेन के अजमेर पहुंचने पर चला। जानकारी मिलने पर जीआरपी ने शव बरामद कर नेहरू चिकित्सालय के चीरघर में रखवा दिया है।
जीआरपी के अनुसार संभवत: सियालदाह एक्सप्रेस से अजमेर दरगाह जियारत के लिए अपने साथियों के साथ आ रहे एक 75 वर्षीय वृद्ध की अजमेर में मृत हालत में पाया गया। उसके साथ आए साथियों व पासपोर्ट के आधार पर मिली जानकारी से उसकी पहचान ढाका के रिची हबीबगंज निवासी मोहम्मद अकरम हुसैन पुत्र अताउर अली के रूप में हुई है।
अजमेर में उसकी मौत का पता लगने पर जीआरपी ने शव को चीरघर में रखवा दिया है।अस्पताल सूत्रों के अनुसार मृतक की मौत कई घंटे पहले ट्रेन में सफर के दौरान होना बताया जा रहा है। लाश में से दुर्गंध भी आने लगी है। पुलिस मृतक के परिजन से संपर्क साधने की कोशिश कर रही है। मृतक अपने साथियों के साथ 14 मार्च को ढाका से रवाना होकर 15 को भारत पहुंचा था। वहां से सियालदहा से अजमेर के लिए रवाना हुआ था लेकिन अजमेर पहुंचने से पहले ही संभवत: रास्ते में संभवत: दिल का दौरा पडऩे से उसकी मौत हो गई।
आते हैं जायरीन मुरादें लेकर
देश-विदेश से कई जायरीन मुरादें लेकर अजमेर शरीफ आते हैं। इनमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, मलेशिया, सिंगापुर सहित अन्य मुस्लिम और यूरोपीय देशों के जायरीन शामिल हैं। जायरीन खासतौर पर दरगाह में किसी मन्नत पूरी होने या परेशानी दूर करने की मन्नत मांगते हैं। दरगाह में सालभर तक देशी-विदेशी जायरीन की आवक का सिलसिला चलता रहता है। कुछ जायरीन तो हर साल यहां पहुंचते हैं।
भेजा जाता है दावतनामा
उर्स में शामिल होने के लिए ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम बाकायदा दावतनामा भी भेजते हैं। यह पत्र भेजने का सिलसिला उर्स तीन-चार महीने पहले ही शुरू हो जाता है। इस पत्र के साथ खास जायरीन के लिए तबर्रुक भी भेजा जाता है। जायरीन को भी खादिमों के पत्र का इंतजार रहता है। वे उर्स में आने की तैयारियां शुरू कर देते हैं।
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