अजमेर में उसकी मौत का पता लगने पर जीआरपी ने शव को चीरघर में रखवा दिया है।अस्पताल सूत्रों के अनुसार मृतक की मौत कई घंटे पहले ट्रेन में सफर के दौरान होना बताया जा रहा है। लाश में से दुर्गंध भी आने लगी है। पुलिस मृतक के परिजन से संपर्क साधने की कोशिश कर रही है। मृतक अपने साथियों के साथ 14 मार्च को ढाका से रवाना होकर 15 को भारत पहुंचा था। वहां से सियालदहा से अजमेर के लिए रवाना हुआ था लेकिन अजमेर पहुंचने से पहले ही संभवत: रास्ते में संभवत: दिल का दौरा पडऩे से उसकी मौत हो गई।
आते हैं जायरीन मुरादें लेकर
देश-विदेश से कई जायरीन मुरादें लेकर अजमेर शरीफ आते हैं। इनमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, मलेशिया, सिंगापुर सहित अन्य मुस्लिम और यूरोपीय देशों के जायरीन शामिल हैं। जायरीन खासतौर पर दरगाह में किसी मन्नत पूरी होने या परेशानी दूर करने की मन्नत मांगते हैं। दरगाह में सालभर तक देशी-विदेशी जायरीन की आवक का सिलसिला चलता रहता है। कुछ जायरीन तो हर साल यहां पहुंचते हैं।
देश-विदेश से कई जायरीन मुरादें लेकर अजमेर शरीफ आते हैं। इनमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, मलेशिया, सिंगापुर सहित अन्य मुस्लिम और यूरोपीय देशों के जायरीन शामिल हैं। जायरीन खासतौर पर दरगाह में किसी मन्नत पूरी होने या परेशानी दूर करने की मन्नत मांगते हैं। दरगाह में सालभर तक देशी-विदेशी जायरीन की आवक का सिलसिला चलता रहता है। कुछ जायरीन तो हर साल यहां पहुंचते हैं।
भेजा जाता है दावतनामा
उर्स में शामिल होने के लिए ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम बाकायदा दावतनामा भी भेजते हैं। यह पत्र भेजने का सिलसिला उर्स तीन-चार महीने पहले ही शुरू हो जाता है। इस पत्र के साथ खास जायरीन के लिए तबर्रुक भी भेजा जाता है। जायरीन को भी खादिमों के पत्र का इंतजार रहता है। वे उर्स में आने की तैयारियां शुरू कर देते हैं।
उर्स में शामिल होने के लिए ख्वाजा साहब की दरगाह के खादिम बाकायदा दावतनामा भी भेजते हैं। यह पत्र भेजने का सिलसिला उर्स तीन-चार महीने पहले ही शुरू हो जाता है। इस पत्र के साथ खास जायरीन के लिए तबर्रुक भी भेजा जाता है। जायरीन को भी खादिमों के पत्र का इंतजार रहता है। वे उर्स में आने की तैयारियां शुरू कर देते हैं।