‘फु र्सत तो मुझे भी थी देश के लिए… ’ अखबारों की साख आज भी कायम अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल में रविवार को विभिन्न सत्रों में पत्रकारों, व्यंगकारों ने सहित्य, व्यंग, मीडिया और पत्रकारिता पर चर्चा की इंडोर स्टेडियम में तीन दिवसीय साहित्य उत्सव का समापन
‘फु र्सत तो मुझे भी थी देश के लिए… ’ अखबारों की साख आज भी कायम अजमेर लिटरेचर फेस्टिवल में रविवार को विभिन्न सत्रों में पत्रकारों, व्यंगकारों ने सहित्य, व्यंग, मीडिया और पत्रकारिता पर चर्चा की इंडोर स्टेडियम में तीन दिवसीय साहित्य उत्सव का समापन