चौंकिए नहीं , आनासागर झील की बारादरी पर मुगल काल में निर्मित तीन दरवाजों को ख्वामाख्वाह के तीन दरवाजे ही कहा जाता है। ये मुगलकालीन स्थापत्य कला के नायाब नमूने हैं। परन्तु बारादरी के बगीचे में फैले पानी में जब इनकी प्रतिच्छाया उभरी तो देखने वालों को छह दरवाजे नजर आए।
चौंकिए नहीं , आनासागर झील की बारादरी पर मुगल काल में निर्मित तीन दरवाजों को ख्वामाख्वाह के तीन दरवाजे ही कहा जाता है। ये मुगलकालीन स्थापत्य कला के नायाब नमूने हैं। परन्तु बारादरी के बगीचे में फैले पानी में जब इनकी प्रतिच्छाया उभरी तो देखने वालों को छह दरवाजे नजर आए।
चौंकिए नहीं , आनासागर झील की बारादरी पर मुगल काल में निर्मित तीन दरवाजों को ख्वामाख्वाह के तीन दरवाजे ही कहा जाता है। ये मुगलकालीन स्थापत्य कला के नायाब नमूने हैं। परन्तु बारादरी के बगीचे में फैले पानी में जब इनकी प्रतिच्छाया उभरी तो देखने वालों को छह दरवाजे नजर आए।