जीवन चलने का नाम है... ये केवल एक फलसफा नहीं बल्कि वास्तविकता भी है। अजमेर शहर के एक कॉलेज में हरियाली से लकदक पेड़ पर सौंदर्यीकरण के नाम पर कुल्हाड़ी चल गई। लेकिन कटे पेड़ के तने से ही नई उम्मीद की कोंपल फूट पड़ी। भले ही इंसान ने पेड़ को उजाडऩे में कसर नहीं छोड़ी मगर नवकोंपल ने उसका अस्तित्व बनाए रखने का फिर से प्रयास शुरू कर दिया। अनिल कुमार
जीवन चलने का नाम है... ये केवल एक फलसफा नहीं बल्कि वास्तविकता भी है। अजमेर शहर के एक कॉलेज में हरियाली से लकदक पेड़ पर सौंदर्यीकरण के नाम पर कुल्हाड़ी चल गई। लेकिन कटे पेड़ के तने से ही नई उम्मीद की कोंपल फूट पड़ी। भले ही इंसान ने पेड़ को उजाडऩे में कसर नहीं छोड़ी मगर नवकोंपल ने उसका अस्तित्व बनाए रखने का फिर से प्रयास शुरू कर दिया।
जीवन चलने का नाम है... ये केवल एक फलसफा नहीं बल्कि वास्तविकता भी है। अजमेर शहर के एक कॉलेज में हरियाली से लकदक पेड़ पर सौंदर्यीकरण के नाम पर कुल्हाड़ी चल गई। लेकिन कटे पेड़ के तने से ही नई उम्मीद की कोंपल फूट पड़ी। भले ही इंसान ने पेड़ को उजाडऩे में कसर नहीं छोड़ी मगर नवकोंपल ने उसका अस्तित्व बनाए रखने का फिर से प्रयास शुरू कर दिया।