अमृतकौर अस्पताल, ब्यावर में मदर चाइल्ड विंग की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में झुलसने से बच्चों की मौत की सूचना पाकर उनकी मां का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। एक बच्चे की मां घटना सुनकर वहीं बेसुध होकर गिर गई। वहीं दूसरी का रो-रो कर बुरा हाल है।
बताया जा रहा है कि रामपुरा मसूदा निवासी सुरेन्द्र और भक्तों का बाडि़या निवासी ओमप्रकाश के बच्चों की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में झुलसने मौत हो गई।
बताया जा रहा है कि रामपुरा मसूदा निवासी सुरेन्द्र और भक्तों का बाडि़या निवासी ओमप्रकाश के बच्चों की नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में झुलसने मौत हो गई।
पहले भी लग चुकी है आग अमृतकौर अस्पताल में ठीक एक साल पहले भी आग लग चुकी है। उस वक्त वार्ड में हादसे के समय 16 नवजात भर्ती थे, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। हालांकि इस दौरान दरवाजा नहीं खुल पाने पर एकबारगी चिकित्साकर्मियों की भी सांसें फूल गईं, लेकिन बाद में खिड़कियां तोडक़र सभी नवजात को सुरक्षित बाहर निकाले जाने पर सभी ने राहत की सांस ली। चिकित्सालय प्रशासन ने मामले की जांच के लिए कमेटी का भी गठन किया लेकिन घटना से सबक नहीं लिया गया। इकाई में सुबह करीब 10 बजे शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मनोहर सिंह चांदावत बच्चों की स्वास्थ्य जांच कर रहे थे। मदर चाइल्ड विंग की प्रभारी डॉ. विद्या सक्सेना भी मौजूद थीं। इसी दौरान एसी में अचानक आग लग गई और आग का गोला बनकर एसी के नीचे लगे वार्मर संख्या 20 पर आ गिरा। इस वार्मर में नवजात सो रहा था। यह देख डॉ. चांदावत सहित स्टाफ दौडक़र 20 नम्बर वार्मर पर पहुंचे और बच्चे को वार्मर से बाहर निकाला।