अजमेर शहर की डिस्पेंसरियों में नियमित सेवाएं देने वाले सेवारत चिकित्सकों के कार्य बहिष्कार एवं राज्य सरकार की हठधर्मिता के चलते मरीजों पर तकलीफों का पहाड़ टूट पड़ा। बुजुर्ग मरीज एवं बच्चों को गोद में लेकर खड़े लोग चिकित्सकों का इंतजार करते नजर आए। चिकित्सक अस्पताल आएंगे या नहीं, किसी की ड्यूटी है या नहीं, चिकित्साकर्मी इसका भी जवाब नहीं दे पाए। बाद में जब सर्दी, जुकाम व बुखार की दवा मरीजों को देने को कहा तो कुछ मरीजों को दवा देना बताया। जबकि आमतौर पर चिकित्सकों के अनुपस्थित रहने पर कई डिस्पेंसरियों, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एएनएम या अन्य नर्सिंगकर्मी दवा देते हैं।
यहां पसरा रहा सन्नाटा :
रामगंज डिस्पेंसरी में सुबह 10 बजे तक सन्नाटा पसरा रहा। यहां चिकित्सक कक्ष का दरवाजा बंद मिला। पहाडग़ंज डिस्पेंसरी में भी चिकित्सक की कुर्सी खाली मिली। यहां बाहर मरीज चिकित्सकों का इंतजार करते मिले। गांधी भवन कस्तूरबा गांधी डिस्पेंसरी में सुबह 10.30 बजे बाद भी चिकित्सक नहीं पहुंचे। पुलिस लाइन डिस्पेंसरी के हाल भी बुरे ही थे। यहां भी चिकित्सक की अनुपस्थिति के चलते मरीज बैरंग लौटे।
वैशालीनगर डिस्पेंसरी में आयुष चिकित्सक ने ड्यूटी दी लेकिन मरीजों की लम्बी कतारें लगी रही। …और खचाखच भरी डिस्पेंसरी खाली हो गईरामनगर डिस्पेंसरी में सुबह 7 बजे से ही मरीज पहुंचना शुरू हो गए और 9 बजे तक डिस्पेंसरी खचाखच भर गई। चिकित्साकर्मियों ने भी करीब 40 से अधिक मरीजों को पर्चिंयां थमा दी। सबने पर्चिंयों के पैसे भी दे दिए लेकिन सभी पर्चियां लेकर घर को रवाना हो गए।
मेडिकल स्टोर बन गए औषधालय!डिस्पेंसरियों में चिकित्सक नहीं मिलने के कारण कुछ मरीजों ने पीडि़त व्यक्ति के रोग के लक्षण बताते हुए मेडिकल स्टोर से ही दवा खरीद कर घर रवाना हो गए। मरीजों ने बताया कि क्या करें…सुबह दो घंटे से खड़े हैं, मेडिकल स्टोर वाले ही अच्छी दवा दे देते हैं। फॉयसागर रोड स्थित एक दो मेडिकल स्टोर संचालक डॉक्टर की पर्ची के बगैर ही दवा देते मिले।