अजमेर

Big Challenge: राजस्थान में खत्म हो रहा कॉमर्स सब्जेक्ट, नहीं पढऩा चाहते स्टूडेंट्स….

कभी कॉमर्स संकाय में 1 लाख से विद्यार्थी पंजीकृत होते थे। लेकिन धीरे-धीरे विद्यार्थियों की गिरावट शुरू हो गई।

अजमेरJul 26, 2021 / 09:06 am

raktim tiwari

commerce faculty

रक्तिम तिवारी/अजमेर.
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के बारहवीं कॉमर्स वर्ग में विद्यार्थियों का ग्राफ साल दर साल घट रहा है। नौकरियों के अवसर घटने से विद्यार्थियों का रुझान कम हो रहा है। पिछले पांच साल में इस बार बारहवीं कॉमर्स में सबसे कम विद्यार्थी पंजीकृत हुए हैं।
15 साल पहले तक कभी कॉमर्स संकाय में 1 लाख से विद्यार्थी पंजीकृत होते थे। लेकिन धीरे-धीरे विद्यार्थियों की गिरावट शुरू हो गई। खासतौर पर पिछले छह साल में हालात बिल्कुल खराब हो गए हैं।
यूं घट रहा विद्यार्थियों का रुझान
2016-50 हजार 759
2017- 47 हजार 528
2018-42 हजार 116
2019- 41 हजार 651
2020-36 हजार 068
2021-31 हजार 993
कॉमर्स में इन क्षेत्रों में रोजगार
-चार्टर्ड एकाउन्टेंट-कम्पनी सचिव
-बैंकिंग एवं इंश्योरेंस
-मैनेजमेंट एवं कॉरपोरेट क्षेत्र
-जीएसटी मूल्यांकन-आयकर एवं कर क्षेत्र
-ऑडिट और खातों का मूल्यांकन


जिन्हें सीए-सीएस, आईसीडब्ल्यूए करना है, वही कॉमर्स लेते हैं। मैनेजमेंट, बैंक, बीमा और प्रशासनिक सहित वाणिज्यिक सेवाओं में अब कला और विज्ञान के विद्यार्थी भी कामयाबी पा रहे हैं। स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटी स्तर पर कॉमर्स विषय में वक्त के साथ नवाचार जरूरी हैं। इसके सिलेबस में अब पब्लिक सेक्टर ऑडिट, मनरेगा ऑडिट, एन्टप्रन्योर प्रशिक्षण तथा औद्योगिक मांग के अनुसार टॉपिक जोडऩे पड़ेंगे, तभी कॉमर्स में बारहवीं स्तर से विद्यार्थियों का रुझान बढ़ेगा।
प्रो. बी. पी. सारस्वत, पूर्व कॉमर्स विभागाध्यक्ष मदस विवि
कॉमर्स संकाय में स्कूली विद्यार्थियों का रुझान घटना चिंताजनक है। कोर्स में कई नवाचार जरूरी हैं। कॉमर्स का दायरा सिर्फ सीए-सीएस तक रखने के बजाय प्रशासनिक, वित्तीय और अन्य सरकारी नौकरियों तक बढ़ाना जरूरी है। ग्लोबल और राष्ट्रीय-राज्य स्तर पर मांग के अनुसार पाठ्यक्रम में बिंदुओं का समावेश होना चाहिए।
संगीता चौरडिय़ा, व्याख्याता कॉमर्स, राजकीय महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल

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