अजमेर से सटे एवं श्रीनगर ब्लॉक के नाचनबावड़ी सरकारी प्राथमिक विद्यालय में 98 प्रतिशत से अधिक छात्र-छात्राएं कालबेलिया, सपेरा एवं नाथ जाति के हैं। नाचनबावड़ी स्थित बस्ती में ही विद्यालय होने से यहां छात्राएं नियमित विद्यालय आती हैं। इन परिवारों में अभी भी इनके पिता, दादा सांप पकडऩे का काम करते हैं। परिवार में ज्यादा पढ़ा-लिखा भी कोई नहीं है। लेकिन विद्यालय में पढ़ाई के साथ-साथ शिक्षा की अहमियत समाझाने पर समाज की इन बेटियों के विचार ही बदलने लगे हैं।
सपना का यह ख्वाब. . . विद्यालय की छोटी की बच्ची सपना का ‘सपना Ó है कि वह पढ़ कर अपने छोटे भाई-बहिन को भी पढ़ाए। पत्रिका से बातचीत में उसने बताया कि घर में कोई पढ़ा-लिखा नहीं है। इसलिए वह बाद में मैडम (शिक्षिका) बनेगी और सबको पढ़ाएगी।
नशा बंद करने के लिए पढ़ूंगी स्कूल की एक छात्रा ने बेबाकी से कहा कि नशा करने से परिवार का माहौल खराब हो रहा है। हमारे समाज से नशा बंद करने के लिए महिलाओं को जागरूक करूंगी।
चार साल पहले 50, अब 76 का नामांकन नाचनबावड़ी की प्राथमिक स्कूल में तीन साल पहले 50 का नामांकन था। घर-घर शिक्षिकाओं की ओर से जगाई अलख से नामांकन 85 तक पहुंच गया। वर्तमान में 76 का नामांकन है। इसमें करीब 50 छात्राएं हैं।
छात्रावास में रहकर कर रही पढ़ाई यहां से पढऩे के बाद श्रीनगर ब्लॉक में बने छात्रावास में रहकर भी कई छात्राएं आठवीं/दसवीं तक की पढ़ाई कर रही हैं। फोक डांस सीखने की ललक
लड़कियां अधिकतर पढऩा चाहती हैं, कुछ फोक डांस सीखकर अपने परिवार को पहचान दिलाने को आतुर हैं। कालबेलिया समाज में कालबेलिया डांस की अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान है। अजमेर/पुष्कर की गुलाबो का नाता भी इन परिवारों से है।
इनका कहना है स्कूल में पढ़ाई के साथ उन्हें भविष्य में नौकरी के लिए अभी से प्रेरित कर रहे हैं। इनके माता-पिता को भी समझाते हैं। बिंदिया शर्मा, अध्यापिका कालबेलिया समाज के बच्चे होशियार हैं। सोशल एक्टिविटी भी इनके लिए करवाई जाती है। पाठ्यसामग्री, स्वेटर, ड्रेस, पेन-पेन्सिल आदि की भामाशाहों को प्रेरित कर मदद भी करवा रहे हैं। स्कूल का नामांकन 76 प्रतिशत है। लगभग सभी कालबेलिया, सपेरा समाज के बच्चे हैं।
रेखा, पारुथि, प्रधानाध्यापिका